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  1. सूर्य नमस्कार आपके बच्चों की किस प्रकार से सहायता कर सकता है? | How Sun Salutations Can Help Your Kids?

    बच्चों के लिए योग की दुनिया क्या आप अक्सर अपने बच्चे के रिपोर्ट कार्ड को देखकर निराशा से भर जाते हैं? आप आप सोचते हैं कि आपने उसके लिए अच्छे ट्यूशन लगाए हैं, वह अपना अधिकतर समय अपने घर में अपनी पुस्तकों के साथ बिताता है। फिर भी उसके कड़ी मेहनत उसके परीक्षा ...
  2. खड़े होकर किए जाने वाले कुछ योगासन | Standing Yoga Postures

    कोणासन 1 | The Angle Pose 1 कोणासन 2 | The Angle Pose 2 कटि चक्रासन | Kati Chakrasana हस्तपादासन | Hastapadasana | Uttanasana अर्धचक्रासन | Ardha Chakrasana त्रिकोणासन | Trikonasana वीरभद्रासन | Virabhadrasana प्रसारिता पादोत्तनासन | Prasaritapadottanasan ...
  3. भक्ति योग- समर्पण का पथ | Bhakti yoga – The path of devotion

    भक्ति योग का संक्षिप्त परिचय- भक्ति का मार्ग। A brief introduction to Bhakti Yoga- The path of devotion भक्ति योग के सन्दर्भ में, आदर्श योगी (जो भगवान के साथ पूर्णतयः एकरूप है) कोण है? इस अर्जुन के प्रश्न का उत्तर देते हुए भगवान श्री कृष्ण, भगवद गीता में ...
  4. योग के पथ पर एक गुरु का महत्व | The Importance of a Guru on the Path of Yoga

    "एक पुष्प की कली की तरह, मानव जीवन में पूर्ण रूप से खिलने की क्षमता है। मानव क्षमता का पूर्णता से खिलना ही योग है।" ~ श्री श्री रवि शंकर प्राचीन काल के संतों और ऋषियों ने सदियों से आत्म-विकास की प्रणाली विकसित और सिद्ध की जिसे योग के रूप में जान ...
  5. अष्टांग योग का परिचय

    मानवीय चेतना का बीज मानव की चेतना एक बीज के समान है। जैसे एक बीज में एक वृक्ष की, शाखाओं की, फल-फूल और पत्तियों की,  प्रजनन की संभावनाएं समाहित हैं, वैसे ही अपार संभावनाओं को लिए मानवीय मन होता है। एक बीज के प्रस्फुरण के लिए उवर्रक मिट्टी, उचित सूर्य का प ...
  6. तीन गुणों के पार | Three Gunas

    सूत्र 19: विशेषाविशेषलिङ्गमात्रालिङ्गानि गुणपर्वाणि॥१९॥   पतंजलि आगे व्याख्या करते हैं कि किस तरह तीन गुण हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं- कुछ चीजें सात्विक, कुछ तामसिक और कुछ राजसिक होती हैं। तामसिक गुण में जड़ता अधिक होती है। राजसिक गुण में क्रिया कलाप ...
  7. दुःख निवारण

    जब यह जान लेते हैं कि संसार में सब कुछ दुःख ही है तब दुःख निवारण का उपाय, दुःख को मिटाने का तरीका क्या है? महृषि पतंजलि कहते हैं- सूत्र 16: हेयं दुःखमनागतम्॥१६॥ दुःख के मूल कारण को मिटाना आवश्यक है। जो दुःख अभी जीवन में आया नहीं है, जो प्रस्फुरित नहीं हुआ ...
  8. क्लेशों की विभिन्न अवस्थाएं

    प्रकृति ने यह पांच क्लेश हर शरीर के साथ दिए हैं। अब प्रश्न यह है कि इनकी परत को कितना क्षीण किया जा सकता है और यह कितनी मोटी बनी रह सकती है।  यही तुम्हें जीवन में परिष्कृत या अपरिष्कृत बनाता है। ये क्लेश चार अवस्थाओं में हो सकते हैं:- प्रसुप्तावस्था   में ...
  9. दुःख के पांच स्रोत

    जीवन में दुःख के मूल कारण क्या हैं? सूत्र 3: अविद्यास्मितारागद्वेषाभिनिवेशाः पञ्च क्लेशाः॥३ अविधा, अस्मिता, राग, द्वेष और अभिनिवेश, यही पांच क्लेश हैं। सूत्र 4: अविद्या क्षेत्रमुत्तरेषां प्रसुप्ततनुविच्छिन्नोदाराणाम्॥४॥ अविद्या     सूत्र 5: अनित्याशुचिदुः ...
  10. क्लेश, कर्म और ध्यान

    महृषि पतंजलि अब तक कहते हैं कि अविद्या, अस्मिता, राग, द्वेष और अभिनिवेश, दुःख के इन पांच स्त्रोतों को साधना के माध्यम से क्षीण करते जाओ।   सूत्र 10: ते प्रतिप्रसवहेयाः सूक्ष्माः॥१०॥ जब तुम इन क्लेशों को क्षीण करते करते सूक्ष्मतम बनाते जाते हो उसके उपरान्त ...