गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर

जीवनी

गुरुदेव श्री श्री रविशंकर एक मानवतावादी नेता, आध्यात्मिक शिक्षक और शांति के दूत हैं।

एक तनाव-मुक्त व हिंसा-मुक्त समाज निर्माण की उनकी दृष्टि ने आर्ट ऑफ लिविंग द्वारा प्रस्तुत की गयी सेवा परियोजनाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से दुनिया भर के लाखों लोगों को एकजुट किया है।

आरंभ

1956 में दक्षिणी भारत में जन्मे गुरुदेव श्री श्री रविशंकर विशेष प्रतिभा संपन्न बालक थे। चार वर्ष की आयु में वह प्राचीन संस्कृत ग्रंथ भगवद्गीता  के कुछ अंश सुनाने में सक्षम थे और अक्सर गहरे ध्यान में पाए जाते थे। गुरुदेव के पहले शिक्षक सुधाकर चतुर्वेदी का महात्मा गांधी के साथ दीर्घकालिक संबंध था। 1973 में सत्रह साल की उम्र में गुरुदेव ने वैदिक साहित्य और भौतिकी दोनों में स्नातक की डिग्री हासिल कर ली थी।

 

आर्ट ऑफ लिविंग और इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ ह्यूमन वैल्यूज की स्थापना

गुरुदेव ने आर्ट ऑफ़ लिविंग की स्थापना एक अंतर्राष्ट्रीय, गैर-लाभकारी, शैक्षिक और मानवीय संगठन के रूप में की। इसके शैक्षिक और आत्म-विकास के कार्यक्रम, तनाव को खत्म करने और स्वास्थ्य प्राप्ति की भावना को बढ़ावा देने के लिए शक्तिशाली विधियाँ प्रदान करते हैं। केवल एक विशिष्ट जनसंख्या के लिए ही नहीं, परन्तु ये अभ्यास विश्व स्तर पर और समाज के सभी स्तरों पर प्रभावी सिद्ध हुए हैं। आर्ट ऑफ लिविंग कार्यक्रम वर्तमान में 155 देशों में आयोजित किए जाते हैं। 1997 में, गुरुदेव ने इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर ह्यूमन वैल्यूज़ (IAHV) की स्थापना की, जो आर्ट ऑफ़ लिविंग का एक सहयोगी संगठन है। IAHV स्थायी विकास परियोजनाओं का समन्वय करता है, मानवीय मूल्यों का पोषण करता है और संघर्ष के समाधान की पहल करता है।

 

प्रेरक सेवाकार्य और ज्ञान का विश्व भर में प्रसार

एक प्रसिद्ध मानवतावादी नेता, गुरुदेव के कार्यक्रमों ने अनेक प्रकार की पृष्ठभूमि के लोगों को सहायता प्रदान की है - प्राकृतिक आपदाओं के शिकार, आतंकी हमलों और युद्ध से बचे लोग, अधिकारविहीन आबादी के बच्चे, संघर्षरत समुदाय आदि उनमें से हैं। उनके संदेश की शक्ति ने स्वयंसेवकों के एक विशाल समूह के माध्यम से आध्यात्मिकता पर आधारित सेवा की लहर को प्रेरित किया है, जो इन परियोजनाओं को दुनिया भर के संकटमय क्षेत्रों में आगे बढ़ा रहे हैं।

एक आध्यात्मिक शिक्षक के रूप में, गुरुदेव ने योग और ध्यान की परंपराओं को फिर से जीवंत किया और उन्हें एक ऐसे रूप में प्रस्तुत किया जो 21वीं सदी के लिए प्रासंगिक है। प्राचीन ज्ञान को पुनर्जीवित करने के अलावा, गुरुदेव ने व्यक्तिगत और सामाजिक परिवर्तन के लिए नई विधियों का निर्माण किया है। इनमें सुदर्शन क्रिया शामिल है जिसने लाखों लोगों को तनाव से राहत पाने और दैनिक जीवन में ऊर्जा के आंतरिक भंडार और आंतरिक मौन की खोज करने में मदद की है।

गुरुदेव के कार्यों के बारे में और जानें

आधिकारिक वेबसाइट पर गुरुदेव के कार्यों के विषय  में अधिक जानें

शांतिदूत

शांति के दूत के रूप में, गुरुदेव ने दुनिया भर में संघर्ष समाधान में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है क्योंकि वे विश्व भर में सार्वजनिक मंचों और सभाओं में अहिंसा के प्रति अपने दृष्टिकोण को साझा करते हैं। शांति प्रसार के एकमात्र लक्ष्य के साथ उन्हें एक तटस्थ व्यक्ति के रूप में माना जाता है, वह संघर्ष में रत लोगों के जीवन में आशा जगाते हैं। उन्होंने कोलंबिया, इराक, आइवरी कोस्ट, कश्मीर और बिहार में विरोधी दलों को वार्ता की मेज पर लाने का विशेष श्रेय प्राप्त किया है। अपने प्रयासों और भाषणों के माध्यम से, गुरुदेव ने मानवीय मूल्यों को मजबूत करने और इसे पहचानने की आवश्यकता पर लगातार जोर दिया कि हम सभी एक विश्व परिवार से हैं। विभिन्न विश्वासों के मध्य सद्भाव को बढ़ावा देना और कट्टरता को दूर करने के लिए बहु-सांस्कृतिक शिक्षा का उपाय करना, स्थायी शांति प्राप्त करने के उनके प्रयासों का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

गुरुदेव ने मानवीय मूल्यों और सेवा के पुन: जागरण के माध्यम से दुनिया भर में लाखों लोगों के जीवन को स्पर्श किया है। जाति, राष्ट्रीयता और धर्म से परे जाकर, गुरुदेव ने एक विश्व परिवार के संदेश को फिर से प्रकाशित किया  है, जो तनाव और हिंसा से मुक्त है।

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