संस्कृति

मंत्र : मंत्र क्या है ?

मंत्र चेतना के आवेग या लय हैं। वे आत्मा में कंपन पैदा करते हैं। उनके प्रभाव, विधि और कार्य करने का तरीका सभी एक रहस्य हैं।

संस्कृत में, कहते हैं - ‘मननात त्रायते इति मन्त्रः’। मंत्र वह है, जिससे आप जन्म और मृत्यु के चक्र से तर जाते हैं । पुनरावृत्त विचार ही चिंता है। मंत्र आपको अपनी चिंताओं से मुक्त करने में मदद करते हैं। कई बार हमें आश्चर्य होता है कि हम मन्त्रों का अर्थ समझे बिना कुछ ध्वनियों का जप क्यों करते हैं? क्या हमारी समझ से परे कुछ हमारी सहायता कर सकता है?

हर मंत्र का अर्थ अनंत है। मन्त्र ध्वनि, मन के ज्ञान से परे एक कंपन है। जब मन अनुभूति करने में असमर्थ होता है तो वह बस विलीन हो जाता है और ध्यानस्थ अवस्था में चला जाता है।

मंत्र एक रहस्य है। वह आपके अवचेतन मन को सचेत करता है। मंत्र चेतना के स्तर पर काम करते हैं। जब हम चाहते हैं कि बीज अंकुरित हो तो इसे मिट्टी में छिपा कर बोते हैं। यदि बीज बस चारों ओर फेंक दिया जाता है तो फिर पक्षी उन्हें खा सकते हैं। इसी तरह हम किताबों और इंटरनेट से मंत्रों और उनके उपयोग के बारे में पढ़ और सीख सकते हैं उससे यह केवल हमारी बुद्धि को संतुष्ट कर सकता है लेकिन वह अनुभव में नहीं आएगा ! इसीलिए मन्त्रों को सुनना, उनका जप करना हमें ध्यान के एक नए आयाम में ले जाता है!

आइए हम कुछ मंत्रों को सुनें और मंत्रों की शक्ति का अनुभव करें।

देवी कवचम्

ललिता सहस्रनामम्

 

शिव रुद्रम मंत्र

108 ॐ नमः शिवाय

 

अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम्

शिव लिंगाष्टकम

 

नवग्रह स्तोत्रम्

गणेश स्तोत्रम्

 

अन्नपूर्णा स्तोत्रम्

ॐ नमो भगवते

 

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