उत्सव

क्रिसमस ट्री की तरह बनें !

दिसंबर २५ ; चारो तरफ क्रिसमस स्टार, सजी धजी दुकानें, सड़के, घर, पार्क, मॉल्स और ऑफिस; हर तरफ चहल-कदमी है | लोग अपनी  ही धुन में, कहीं खरीददारी करते नज़र आ रहे हैं, तो कहीं दोस्तों और परिवार के साथ शानदार वक़्त बिताते हुए ! साफ़ है कि आज एक तो क्रिसमस है, दूसरे नया साल आने वाला है और अलविदा कह रहे वर्ष २०१८ को खुशी और उल्लास से विदा करना भी ज़रूरी है | ऐसे में धूम-धाम और समारोह तो बनता है |

क्रिसमस दरअसल केवल धर्म विशेष तक ही सीमित नहीं है , इसे हर वर्ष, हर देश-धर्म-जाति और संप्रदाय के लोग अपार उल्लास और हर्ष  से मनाते हैं |

‘प्रेम और सौहार्द्र’ का सन्देश देता है - क्रिसमस !

इसमें कोई संशय नहीं, कि त्यौहार,देशों को, लोगों को,अलग-अलग सभ्यताओं और संस्कृतियों को जोड़ने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं | क्रिसमस भी एक ऐसा ही पर्व है, जो धरती के उत्तरी गोलार्ध के देशों को दक्षिणी गोलार्ध के देशों से जोड़ कर रखता है | भौगोलिक और राजनैतिक स्तर पर सारी दुनिया में भले ही विविधताएं हों  किन्तु २५ दिसंबर को सारा विश्व एक साथ ‘प्रेम और सौहार्द्र’ का गीत गाता है|

‘छोटे मन ‘से ‘विशाल मन’ तक की यात्रा का प्रतीक है - क्रिसमस !

क्रिसमस के समय, पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध के देशों में जबरदस्त, कपकपाती ठंढ होती है | वहां के ज्यादातर प्रदेश, दिसंबर की ठंढ में ,बर्फ और ओस से ढके रहते हैं | ऐसे में प्रकृति और मानवीय दोनों ही स्तरों पर गतिविधियां बहुत सीमित होती हैं |

वहाँ क्रिसमस के बारे में  गुरुदेव श्री श्री रविशंकर जी कहते हैं - " वह समय जब सूर्य का प्रकाश,धरती पर बहुत सीमित रूप में  पड़ता है | प्राकृतिक गतिविधियां लगभग कम ही होती हैं | सब कुछ शीत-निद्रा में है | पशु-पक्षी भी लगभग अपने-अपने घोसलों और बिलों में ही होते हैं | ऐसी चिर-स्थिर और परम -शांत  रात्रि को, प्रकाश और आनंद स्वयं ही प्रस्फुटित होता है | ऐसे प्रकाश और परमानंद के मध्य उत्सव होना तो सहज ही है| तो वास्तविकता में क्रिसमस ‘आतंरिक उत्सव’ है | बाह्य उत्सव तो केवल एक ‘प्रतीक’ मात्र है  |

भीतर जब आप स्थिर होते हैं, शांत होते हैं, तब गहन अंतरतम में प्रेम का सन्देश स्वयं ही उपजता है | और आत्मस्थिरता, अनंत प्रेम का सन्देश प्रेषित करती है | जब भी, आप सांसारिक गतिविधियों में व्यस्त होते हैं, तब आपका ध्यान बाहर, संसार की ओर होता है |परन्तु संपूर्ण विश्राम और स्थिरता की अवस्था में आपका मन अंतर्मुखी होता है | इसीलिए आत्मस्थित हो जाएँ और परमानंद की निद्रा में विश्राम करें |"

गुरुदेव आगे कहते हैं -" छोटा मन एक बच्चे की तरह 'आश्रित' होता है | और विराट मन एक 'माँ' कि तरह होता है| दिव्य आनंद कहीं बाहर नहीं है | स्वर्ग वहीँ है- जहाँ छोटा मन, विशाल मन की शांतिपूर्ण अवस्था में मिल कर एक हो  जाता है | जैसे ही छोटा सीमित मन, विशाल मन से दूर होता है, भ्रांति और अव्यवस्था जैसी स्थितियां उत्पन्न होने लगती हैं | छोटा मन, शिकायतों में उलझ जाता है और दुखी हो जाता है | ऐसे में प्रज्ञावान विराट मन की विश्राममयी गोद ही विश्रांति प्रदान करती  है | "

क्रिसमस ट्री की तरह बनें !

गुरुदेव कहते हैं- "क्रिसमस ट्री की तरह बनें - सदाबहार ! हमारा जीवन भी  क्रिसमस ट्री की ही तरह होना चाहिए - स्थितप्रज्ञ और समबुद्धि | चाहे शीत ऋतु हो या ग्रीष्म, वसंत हो या पतझड़| क्रिसमस ट्री सदा एक जैसी ही रहती है | इसलिए जीवन की हर परिस्थिति में स्वयं को सदाबहार रखें | और फिर क्रिसमस ट्री के पास बहुत सारे उपहार भी होते हैं | इसके पास सबके लिए उपहार होते हैं | तो जो भी आपको जीवन में मिला है वह हर किसी के लिए है | हाँ ! जो भी उपहार है आपके पास, वो संसार के लिए ही है| तो आपकी सभी प्रतिभाएं, जो भी आपको दी गयी हैं, वह सब दूसरों की सेवा के लिए हैं | तो, सेवा करें ! मुस्कराएं ! और उत्सव मनाएं ! जीसस क्राइस्ट का भी यही सन्देश है कि भीतर और बाहर सब ओर केवल प्रेम ही प्रेम है |”

क्रिसमस  का त्यौहार, हमें जीवन-पर्यन्त,  प्रेम और सेवा का परम उत्सव मनाने का मौका देता है!

आर्ट ऑफ़ लिविंग परिवार की ओर से  भारत समेत समस्त विश्व को क्रिसमस की अनंत शुभकामनाएं !

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