बेचैनी क्या होती है?
बेचैनी तुम्हें चुप नहीं रहने देती। इसी को बेचैनी कहते हैं न? क्या कहते हैं बेचैनी को? काम करने जाओ तो मन नहीं लगता। लगता है छोड़ें। चुप बैठे हैं तो चुप नहीं रह सकते। न चुप रह सकते हैं, न काम कर सकते हैं, ऐसी स्थिति में करें क्या?
शरीर में रजो गुण की अधिकता हो तो करें भस्त्रिका और व्यायाम
भस्त्रिका करनी चाहिए। साँस लो..इस तरह से भस्त्रिका करें| तो भस्त्रिका करने से शरीर में जो रजोगुण है वो कार्यरत होता है। रजोगुण थोड़ा खर्च हो जाता है तो फिर हमको थोड़ा आराम मिलता है। या उस बेचैनी को 100 प्रतिशत स्वीकार करें, माने बेचैनी लग रहा है पूरा शरीर को हिलाओ। बेचैनी माने अंदर से कुछ हिल रहा है। आप वो जो हिल रहा है तो ज़्यादा हिलाते जाओ।कसरत करो या लम्बी वाकिंग भी अच्छा है अभी लाक्डाउन के टाइम वाकिंग तो कर नहीं सकते! तो घर में ही चक्कर लगाओ। वाक करने से भी जब शरीर में थोड़ा सा थकान महसूस होने लगता है तब हम बैठ पाते हैं। जैसे ही बैठते हो , आँख बंद कर के ध्यान में चले जाओ। ध्यान से मन की बेचैनी एकदम दूर हो जाती है और मन से उत्साह और प्रसन्नता अपने आप निखर आती है।
बेचैनी हो तो ना करें ज्यादा बात-चीत
अब बेचैनी में बात नहीं करनी चाहिए। हम कुछ भी बोलेंगे फिर उससे अफ़सोस ही करने लगेंगे फिर बाद में। इसलिए उस वक्त कुछ बोलना नहीं, चुप रहना। गीत गाओ। बेचैनी में दुःख के गीत गाना हो तो गा लो। हमारे भीतर पड़ी हुई जो अतृप्ति है, चेतना में जमी हुई अतृप्ति है, वो बाहर आ जाएगा। वो अतृप्ति क्या? हमारी चेतना का स्वभाव नहीं है, स्वरूप नहीं है, यह वहाँ लगा हुआ एक धब्बा है। तो बेचैनी को दूर करने का यही तरीका है।
योग-निद्रा से दूर करें शरीर और मन की घबराहट
सबसे पहला क्या है? भस्त्रिका प्राणायाम करो। दूसरा थोड़ा आसन करो या नाचो। तीसरा संगीत सुनो, दुःख वाली संगीत सुनो, ठीक है? इससे गहराई में जा सकते हो फिर उसके बाद थोड़ा हिलाओ, पूरा शरीर को अच्छे से हिलाओ और अब बैठ जाओ शांत हो जाएगा। शांत हो कर बैठ जाओ या लेट जाओ। लेट कर योग निद्रा कर लेना या बैठ कर ध्यान कर लेना। इससे हमारी जो बेचैनी है वह दूर हो जाएगी।
गुरुदेव की ज्ञान वार्ता पर आधारित
संकलन एवं सम्पादन : रत्नम सिंह
बेचैनी आपको चुप नहीं रहने देती। काम करने जाओ तो मन नहीं लगता। लगता है छोड़ो। चुप बैठे हैं तो चुप नहीं रह सकते। न चुप रह सकते हैं, न काम कर सकते हैं, और यह सिर्फ शांत रहने और काम करने तक ही सिमित नहीं है। बेचैनी में आपको ऐसा लगता है जैसे आपकी पूरी दुनिया ख़त्म हो रही है।
जब भी आपको बेचैनी महसूस हो तो आप भस्त्रिका करें ।भस्त्रिका करने से शरीर में जो रजोगुण है वो कार्यरत होता है। रजोगुण थोड़ा खर्च हो जाता है तो फिर हमको थोड़ा आराम मिलता है। कसरत या लम्बी वाकिंग भी बेचैनी को नियंत्रित करने का एक अच्छा तरीका है। वाक करने से भी जब शरीर में थोड़ा सा थकान महसूस होने लगता है तब हम बैठ पाते हैं। और फिर आप मेडिटेट कर सकते है।ध्यान से मन की बेचैनी एकदम दूर हो जाती है और मन से उत्साह और प्रसन्नता अपने आप निखर आती है।
शरीर में रजो गुण की अधिकता होने से हमे बेचैनी और घबराहट होती है।