वर्तमान समय की पुकार ऋषि कृषि - नैसर्गिक कृषि सम्मेलन का सफल उद्घाटन | Agri Summit Takes Off With a Call for a Rishi Krishi Revolution

भारत (India)
9th of मई 2017

बैंगलुरू 9 मई 2017. देष में ऋषि कृषि या नैसर्गिक खेती को बढ़ावा देने के लिए आर्ट आॅफ लिविंग के अंतर्राष्ट्रीय आश्रम में सम्मेलन का शुभारंभ हुआ। श्री श्री एग्रीकल्चरल साईंसेंस एण्ड टेक्नोलाॅजी ट्र्स्ट द्वारा आयोजित इस सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए गुरूदेव श्री श्री रवि शंकर जी ने उपस्थित विशिष्टजन से ऋषि कृषि या नैसर्गिक खेती को बढ़ावा देने और उसके लाभों से परिचय करवाने पर बल देते हुए कहा, ‘‘आज की आवश्यकता है कि हमे नैसर्गिक खेती के प्रति लोगों में जागरूकता व विश्वास उत्पन्न करना है। यह केवल एक भ्रम ही है कि हम मॅंहगी खाद और कीटनाशकों के प्रयोग से ही अच्छी फसल उगा सकते हैं।’’ आगे अपना मत रखते हुए श्री श्री ने कई उदाहरण प्रस्तुत किए जिनमें किसान नैसर्गिक खेती अपनाकर लाभ की खेती कर रहे हैं।

श्री श्री ने कहा कि हमें अपने देषी बीजों का भी संरक्षण करना है जिनसे बहुत ज्यादा पैदावार मिलती है और कम बीजों की आवष्यकता होती है। उन्हौने उपस्थित गणमान्यों से कहा कि यह हमारा फर्ज बनता है कि नैसर्गिक खेती के संबंध में ज्यादा से ज्यादा जानकारी अधिकतम किसानों तक पहुॅंचाएॅं। कार्यक्रम में उपस्थित तेलंगाना, आंध्रा प्रदेश, छत्तीसगढ के मंत्रीयों से गुरूदेव ने आव्हान किया कि वे अपने राज्यों को नैसर्गिक कृषि वाला राज्य बनाएॅं। इतनी वर्षा होने के बावजूद देश के कई हिस्सों में पानी की कमी पर भी श्री श्री ने अफसोस व्यक्त किया। उन्हौने बताया कि किस तरह आर्ट आॅफ लिविंग ने देष की 27 नदियों को कम से कम लागत में ही पुर्नजीवित किया है।

जावारा इंडिजीनियस इंडोनशिया के विकासशील नैसर्गिक खेती के विषेषज्ञ तथा मुख्य कार्यकारी अधिकारी इबु हिलयांती हिलमेन ने प्रमुखता से अपनी जैव विविधता की ओर ध्यान देने के के लिए बल देले हुए कहा कि, ‘‘वर्ष 2008 में हमने 10 किसानों से यह प्रारंभ किया था और आज 50000 से अधिक हैं। इसका राज यह है कि देषी ज्ञान, आध्यात्म को महत्व देना और पोषणयुक्त भोजन से किसानों को अवगत करवाना।’’

वे आगे कहते हैं, आजकल की कृषि में रसायनिक कीटनाशकों व खाद के उपयोग ने छोटे किसानों को ऋण के दलदल में ढकेल रही है और वहीं जमीन और पानी भी बहुत प्रदूषित हो रहा है। इस अवसर पर आंध्रा प्रदेश के कृषि मंत्री श्री एस चंद्रा मोहन रेड्डी ने कहा, ‘‘कई समस्याओं का हल नैसर्गिक खेती है और हमारे राज्य ने नैसर्गिक खेती की परियोजनाओं में वित्तीय सहायता दी है।’’ उन्हौने आगे कहा कि राज्य सरकार तथा आर्ट आॅफ लिविंग के सहयोग से 500 किसान नैसर्गिक खेती के लिए प्रेरित हुए हैं और रत्ती भर भी रसायन का उपयोग नहीं कर रहे हैं। इसे और आगे ले जाना है।

तेलंगाना के ग्रामीण विकास मंत्री श्री जुपैली कष्णा राव ने अपने उद्बोधन में कहा, ‘‘किसान अपने निवेश को ठीक करने में असमर्थ हैं उन्हे सिर्फ कमाने दिया जाए। जो वे कर्ज ले रहे हैं वही उनकी आत्महत्या का कारण भी बन रहा है।’’ वे आगे कहते हैं कि किसानों का नैसर्गिक खेती के लिए एक एसोसिएशन बनाया गया है जिसमें अभी तक 11.02 लाख लोग पंजीकृत हो चुके हैं।

वर्तमान की आवश्यक्यताओं को देखते हुए एवं उभरते हुए कृषि संकट को देखते हुए आयोजित इस सम्मेलन में 200 महानुभावों ने हिस्सा लिया। इनमें किसान, अनुसंधानकर्ता, विषय विषेषज्ञ, निति निर्धारक आदि उपस्थित थे। विषय विशेषदन्यों ने देशी खेती की तकनीकों के कई बिन्दुओं पर अपने अपने मत रखे। श्री श्री एग्रीकल्चरल साईंसेंस एण्ड टेक्नोलाॅजी ट्र्स्ट के चेयरमेन श्री रामकृष्णा रेड्डी ने इस अवसर पर कहा, ‘‘इस सम्मेलन का पुमंख उद्देष्य है कि सभी हितग्राही यहाॅं से खेती में प्रयुक्त हो रही तकनीकों के बेहतर हल के लिए बात करें और कुछ नया कर पाएॅं।’’