नवरात्रि के दौरान उपवास क्यों करना चाहिए?

उपवास की प्रक्रिया

उपवास: विश्रांति और रोगप्रतिकारक शक्ति में वृद्धि का उपाय

नवरात्रि में उपवास करके गहन ध्यान में स्थित हो जाए

सात्विक ऊर्जा का लाभ उठाएं

नवरात्रि के दौरान उपवास क्यों करना चाहिए?

नवरात्रि उत्सव रंग, परंपरा, संगीत तथा नृत्य का उत्सव है, साथ ही यह विश्राम करने का, अपने अन्दर  उतरने का और अपनी ऊर्जा के स्तर में वृद्धि करने का समय है। नवरात्रि काल में उपवास करने से परमानंद तथा प्रसन्नता की ओर ले जाने वाला मार्ग सुगम हो जाता है। इससे मन की अस्वस्थता दूर हो जाती है और सजगता और आनंद बढ़ता है।

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उपवास की प्रक्रिया

हम भगवान को प्रसन्न करने के लिए उपवास नहीं करते, बल्कि हमारे शरीर को शुद्ध करने के लिए करते है।" - गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर

आयर्वेद के अनुसार उपवास करने से जठराग्नि प्रज्वलित होती है। इस कारण हमारे शरीर में विषाक्त पदार्थ नष्ट हो जाते है। इन विषाक्त पदार्थों का शरीर से निष्कासन होने से सुस्ती कम हो जाती है। शरीर की पेशियों में नवचैतन्य जाग जाता है। इसलिए शरीर शुद्धि के लिए उपवास एक प्रभावशाली तंत्र माना गया है। शरीर शुद्ध होने से मन भी शांत और स्थिर हो जाता है क्योंकि शरीर और मन का गहरा सम्बन्ध है।

उपवास: विश्रांति और रोगप्रतिकारक शक्ति में वृद्धि का उपाय

संभवतः हम में से बहुत सारे लोग ऐसे होंगे जो भूख लगने की प्रतीक्षा ही नहीं करते। भूख लगने का अर्थ है कि अपना शरीर अब अन्न पाचन के लिए तैयार है। भूख लगने से पहले अन्न ग्रहण करने से हमारी पाचनप्रणाली अशक्त हो जाती है। परिणाम स्वरूप तनाव बढ़ता है तथा रोगप्रतिकारक शक्ति कमज़ोर हो जाती है।  
उपवास करने से जठराग्नि प्रदीप्त हो जाता है जिससे तनाव निर्मूलन होता है तथा रोगप्रतिकारक शक्ति में वृद्धि होती है।

नवरात्रि में उपवास करके गहन ध्यान में स्थित हो जाएँ 

नवरात्रि का समय अपने आप के साथ रहने, ध्यान करने तथा अपने अस्तित्व के स्त्रोत के साथ जुड़ने का समय है। उपवास करने से मन की अस्वस्थता घटती है तथा गहन ध्यान द्वारा अपने अंतर्मन की ओर की यात्रा सुगम हो जाती है। अपना ऊर्जा का स्तर बनाये रखने के लिए फलाहार तथा सात्विक अन्न का सेवन करना आवश्यक है।

सात्विक ऊर्जा का लाभ उठाएं

उपवास और ध्यान करने से सत्त्व बढ़ता हैं। सत्त्व का अर्थ हमें शांति और प्रसन्नता देने वाला तत्त्व। इस सात्विक ऊर्जा में वृद्धि होने से हमारा मन अधिक शांत और सजग बनता है। परिणामस्वरूप, हमारे संकल्प और प्रार्थना अधिक शक्तिशाली हो जाते हैं।

सत्त्व में वृद्धि होने के कारण शरीर अधिक हल्का और ऊर्जावान हो जाता है। हम अधिक कुशल बन जाते हैं। परिणामस्वरूप, हमारी इच्छाएं पूरी होने लगती हैं और हमारे सभी कार्य सहजता से हो जाते है।

"दुनिया भर में और सभी धर्मों में प्रार्थना के साथ उपवास किया जाता है क्योंकि जब आप उपवास कर रहे होते है, तो आप अन्दर से शुद्ध हो जाते हैं और आपकी प्रार्थना जो अंतःकरण से निकलती है वह और अधिक गहरी हो जाती है।" - गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर 

सुझाव: कुछ लोगों की शारीरिक प्रकृति के अनुसार  उनके लिए उपवास करना उचित नहीं माना जाता। इसलिए, सलाह दी जाती है कि आप पहले किसी आयुर्वेदिक डॉक्टर से परामर्श लें। साथ ही, ध्यान रखें कि आप उतना ही उपवास करें जितना आप सहजता से कर सकें।

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