किशोरियों में मासिक धर्म से सम्बंधित स्वास्थ्य तथा स्वच्छता का प्रसार / प्रचार

भारतीय समाज में मासिक धर्म पर चर्चा करना अभी भी निषिद्ध माना जाता है। आज भी, हमारे लोगों पर पड़े सांस्कृतिकएवं सामाजिक प्रभाव किशोर वय की बालिकाओं को सही तरीक़े से मासिक धर्म सम्बन्धी उपयुक्त ज्ञान देने में बहुत बड़ी बाधा हैं। माताएँ भी इस विषय पर अपनी बेटियोंसे इस विषय पर बात करने में संकोच करती है , तथा उनमें से बहुत को स्वयं भी तरुण अवस्था व यौवन तथा मासिक धर्मके बारे में वैज्ञानिक जानकारी नहीं होती । यहाँ तक कि यदि उन्हें यह जानकारी हो, तो भी भारतीय महिलाएँ मासिक धर्म सम्बन्धी समस्याएँ होने पर शायद ही कभी डाक्टर के पास चिकित्सा सहायता के लिए जाती हैं। इस प्राकृतिक प्रक्रिया पर हमारे समाज में छाए मौन के साथ साथ घरों व स्कूलों में इस विषय पर उपलब्ध ज्ञान या तो बहुत सीमित है अथवा सर्वथा अनुपलब्ध है जिसके परिणामस्वरूप इन क्षेत्रों में रहनेवाली लड़कियों तथा महिलाओं को मासिक धर्म तथा इसकी वजह से हर माह उनके शरीर में होने वाले प्रभाव के विषय मेंन तो किसी प्रकार की जानकारी उपलब्ध है और न इस पर कि कौन से तरीक़े अपना कर इससे अच्छे स्वस्थ एवं स्वच्छतरीक़े से मासिक धर्म से निवृत हो सकें। 

मासिक धर्म बालिकाओं में तरुण / यौवन  अवस्था के प्रारम्भ से जुड़ा है और अनेक बार यह अपने साथ उनके लिए बहुतसे नियम , प्रतिबंध , एकांत और समाज द्वारा लड़कियों से परिवर्तित अपेक्षाएँ   ले कर आता है । लड़कियों के प्रतिपरिवर्तित दृष्टिकोण उनकी आत्म अभिव्यक्ति , गतिशीलता , चंचलता व स्वतंत्रता को प्रतिबंधित करता है तथा यहमहिलाओं के मानस पटल पर दूरगामी प्रभाव छोड़ते हैं ।

तरुण अवस्था में होने वाले शारीरिक बदलाव तथा सुरक्षित , स्वच्छ मासिक धर्म सम्बन्धी आचरण का अभाव ,  इनकेकारण इस विशुद्ध प्राकृतिक रूप से होने वाली शारीरिक प्रक्रिया के चारों ओर एक जटिल व भारी सन्नाटा खड़ा कर दियागया है । इसलिए  बच्चियों के मन में रजोदर्शन के प्रारम्भ, मासिक धर्म तथा इससे सम्बंधित   आचरण  के प्रति एक सकारात्मक दृष्टिकोण बिठाने की आवश्यकता है । 

लड़कियों / महिलाओं द्वारा प्रयुक्त अस्वस्थ मासिक धर्म सम्बन्धी व्यवहार आदि कारण  उनको  RTI (रीप्रडक्टिवट्रैक्ट इन्फ़ेक्शन ) , PID ( पेल्विक इन्फ़्लैमटॉरी डिज़ीज़ ) तथा अन्य जटिलताओं के प्रति अधिक जोखिम में डालते हैं ।इसलिए अच्छी मासिक धर्म स्वच्छता लड़कियों तथा महिलाओं के स्वास्थ्य, शिक्षा व गरिमा , मर्यादा के लिए अपरिहार्य है।  इसलिए मासिक धर्म स्वच्छता को  बच्चियों की स्वास्थ्य शिक्षा का अंग बनाया जाना अति आवश्यक है । 

उद्देश्य 

आर्ट ओफ़ लिविंग ने किशोरावस्था की बालिकाओं के लिए मासिक धर्म स्वास्थ्य एवं स्वच्छता बढ़ाने के उद्देश्य सेप्रोजेक्ट पवित्र के रूप में पहल की है ।  प्रोजेक्ट का लक्ष्य ग्रामीण व शहरी मलिन बस्तियों की किशोरियों में  संवेदिकरनकार्यक्रमों द्वारा जागरूकता पैदा करना है । 

प्रोजेक्ट की परिकल्पना बच्चियों को मासिक धर्म के सम्बंध में ज्ञानयुक्त व जागरूकता द्वारा सशक्त बनाना है जिससेवो इस प्रक्रिया को एकांत , सुरक्षा और गरिमा के साथ अपने घर , स्कूल व समाज में स्वच्छ तरीक़े से संभाल सकें ।

क्यों 

किसी भी महिला के लिए मासिक धर्म स्वास्थ्य उसके स्वयं के कल्याण के लिए तथा उसके परिवार व समाज केकल्याण के लिए महत्वपूर्ण है। किंतु आम तौर पर विशेषतः विकासशील देशों में, मानसिकता, रीति रिवाज तथासंस्थागत  पूर्वाग्रह  महिलाओं को उनके फलने फूलने के लिए आवश्यक मासिक धर्म स्वास्थ्य  देखभाल तक पहुँचने मेंबाधक हैं । मासिक धर्म स्वच्छता आज भी लगातार सबसे चुनौतीपूर्ण विकास मुद्दों  में से एक है। रजोदर्शन से ही बालिकाओं में मासिक धर्म व मसिकधर्म व्यवहार के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण बिठाने कीआवश्यकता है। यह सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है कि बालिकाओं के लिए मसिकधर्म स्वच्छता को उनकीस्वास्थ्य शिक्षा का अंग बनाया जाए । 

परिणाम 

ग्रामीण समाज , स्कूलों तथा महाविद्यालयों से कोई 5,00,000 लड़कियों को प्रति वर्ष  मासिक धर्मस्वच्छता के प्रति जागरूक करने की परिकल्पना की गयी है। परियोजना का लक्ष्य मासिक धर्म आचरण के प्रति स्थायी परिवर्तन लाने का है । ऐसी आशा है किदीर्घकाल में इन जागरूकता  कार्यक्रमों द्वारा लड़कियों में बेहतर स्वास्थ्य स्थिति तथा जीवन स्तर में सुधार देखने कोमिलेगा । 

अब तक की प्रगति 

मार्च 2018 में आरम्भ होने से अब तक हमारे स्वयंसेवी प्रशिक्षकों द्वारा  52450 किशोरियों को  निशुल्ककार्यशालाओं के माध्यम से मासिकधर्म स्वास्थ्य व स्वच्छता का प्रशिक्षण दिया जा चुका है ।

नियमित रूप से चलाए जा रहे ओनलाइन तथा ऑफ़्लाइन प्रशिक्षण शिविरों के माध्यम से 3490 महिलाओंको मासिकधर्म स्वास्थ्य व स्वच्छता चैम्पीयन के रूप में तैयार किया गया है ।

किशोरियों के लिए स्वास्थ्य व स्वच्छता कार्यक्रम 

यह जागरूकता कार्यक्रम किशोरियों के लिए पारस्परिक संवाद तथा क्रियात्मक प्रशिक्षण तरीक़ों के उपयोगसे उनको मासिकधर्म से कैसे निपटना है , इसकी जानकारी देने के अतिरिक्त उनके अनुत्तरित   प्रश्नों का उत्तर भी देते हैंजिससे बालिकाओं में व्यक्तिगत स्वच्छता के प्रति जानकारी बढ़ती है तथा उनके आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होती है । यह कार्यक्रम इस विषय पर प्रचलित निषिद्ध और  मिथ्या धारणाओं को दूर करने केलिए आवश्यक जानकारी भी उपलब्ध  करवाते हैं । लड़कियों को योगासन व प्राणायाम भी सिखाए जाते हैं जोमासिकधर्म सम्बन्धी असुविधाओं से निजात दिलाते हैं ।

कौन 

लगातार बढ़ रही टीम के 3000 से अधिक आर्ट ओफ़ लिविंग की महिला स्वयंसेविका प्रशिक्षक  मासिकधर्मआचरण को लेकर समग्र तथा चिरस्थायी ज्ञान फैला रही हैं ।योग तथा आयुर्वेद का ज्ञान प्रशिक्षुओं की ट्रेनिंग का भाग हैजिससे उनको अपने पीरियड को बेहतर ढंग से निर्वाह करने में सहायता मिलती है । 

महिलाओं को सशक्त बनाना हमारा लक्ष्य सर्व समावेशी लक्ष्य है जिसमें हमारे प्रशिक्षुओं की भूमिका अत्यावश्यकहै । उनको इसमें उद्देश्य की भावना और पूर्णता का अनुभव होता है, जो वे लाभार्थियों को प्रेषित करते हैं । इस प्रकार महिला सशक्तिकरण की यह शृंखला दिन प्रतिदिन सुदृढ़ हो रही है। प्रत्येक राज्य में मुख्य प्रशिक्षक बनाए जा रहे हैं जो आगे स्थानीय मासिकधर्म स्वास्थ्य चैम्पीयन तैयार कर रहे हैं । 

कैसे 

  • शोध व मंत्रणा द्वारा , तथा हमारे आंतरिक योग व आयुर्वेद विशेषज्ञों के परामर्श के अनुसार प्रतिदिन 90 मिनट अवधि का तीन दिवसीय एक प्रशिक्षण मोडयूल तैयार किया गया है। 
  • यह समग्र कार्यक्रम मासिकधर्म स्वास्थ्य सम्बन्धी सभी मुद्दों पर और सभी आयु वर्ग समूहों के लिए उपयोगी है। 

जागरूकता कार्यक्रम के उद्देश्य 

  • महिलाओं को मासिकधर्म जैसी सामान्य प्रक्रिया के बारे में अवगत कराना 
  • मासिकधर्म स्वास्थ्य तथा उसका स्वच्छता पूर्वक निर्वाह करने के साथ साथ सामाजिक मिथकों को दूर करना 
  • उनको पोषक खान पान तथा शारीरिक फ़िट्नेस वाले जीवन स्तर के आचरण में सहायता देना 
  • उनमें एक महिला होने का आत्मविश्वास , गर्व तथा सम्मान का भाव जगाना 

किशोरियों के लिए स्वास्थ्य व स्वच्छता कार्यक्रम एक 90 मिनट प्रतिदिन , 3 दिवसीय कार्यक्रम है जिसमें 11 से19 वर्ष की बालिकाओं को मासिकधर्म के विषय में जागरूक किया जाता है ।इन कार्यशालाओं में लड़कियों  को मासिकधर्म के कारण होने वाले मानसिक व शारीरिक तनाव से निपटने का प्रशिक्षण के 

अतिरिक्त यह भी पढ़ाया जाता है : 

मासिक धर्म आने से पहले का  तनाव ( बढ़ा हुआ चिड़चिड़ापन , सूजन व ऐंठन ) कम करने के लिए प्राणायाम, पी एम एस ( PMS) , अति अधिक अथवा अति कम रक्त स्राव को नियंत्रित करने के लिए योगासन स्वस्थ पीरियड व खोए गए पोषक तत्वों की प्रतिपूर्ति के लिए उचित खुराक ( सामान्यतः स्थानीय स्तर पर उपलब्ध खाद्य पदार्थों द्वारा - रक्त की कमी व कमजोरी से बचाव हेतु ) इस प्राकृतिक क्रिया को लेकर फैले मिथकों और अंधविश्वासों को दूर करने के उद्देश्य से खेलों व प्रहसन द्वारा उनको समझाना स्थानीय स्तर पर उपलब्ध संसाधनों के उपयोग से उनकी पर्याप्त मासिक धर्म स्वच्छता बनाए रखना 

आओ साथ मिल कर चलें 

हमारा समर्थन करें , हमसे सहयोग करें और इस कार्य को फैलाएं ! “ प्रोजेक्ट पवित्र “ का भाग बनें और हाशिए पर रह रहे समुदायों की लड़कियों और महिलाओं के लिए अधिक स्वस्थ व प्रसन्नता भरा जीवन बनाने में सहायक बनें । 

 ई मेल : pavitra@projects. artofliving .org 

 कॉल / WhatsApp : + 91 84319 68917

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