गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर की ओर से एआईएमपीएलबी को एक खुला पत्र | An Open Letter from Gurudev Sri Sri Ravi Shankar to the AIMPLB

भारत (India)
6th of मार्च 2018

आदरणीय महोदय,

जैसा कि हम सब जानते हैं कि भारत अनेक मतों, धर्मों और संप्रदायों का देश है l सदियों से भारत प्रेम, सहिष्णुता और सर्वधर्म समभाव की धरती रही है। समस्त भारतवासी एक दूसरे के धर्म का आदर और सम्मान करते हुए एक साथ सहयोग और सौहार्द्र के साथ रहते चले आ रहे हैं l राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद का विवाद इस परम्परा मे कंटक की तरह उभरा है।

मुस्लिम और हिंदू दोनों ही सम्प्रदाय के कुछ लोग कह रहे हैं कि सर्वोच्च न्यायालय की बात ही मानेंगे। सबसे पहली बात है कि सर्वोच्च न्यायालय ने आपसी समझौते से हल निकालने पर ज़ोर दिया है, और हम उसी को ही नहीं मान रहे हैं और हम इस बात पर यदि अड़े रहते हैं कि सर्वोच्च न्यायालय ही निर्णय दे- तो इसके तीन सम्भावनाएँ हो सकती हैं:

पहला विकल्प यह है कि सर्वोच्च न्यायालय इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्णय को समर्थन दे सकती है - क़रीब १ एकड़ ज़मीन मस्जिद को मिलेगी और बाक़ी ६० एकड़ ज़मीन मंदिर को मिलेगी, और एक ही स्थान पर मंदिर और मस्जिद दोनों साथ रहेंगे। इससे समस्या का समाधान नहीं होगा और वहाँ हमेशा के लिए एक तनावपूर्ण वातावरण बना रहेगा। साथ ही इसकी सुरक्षा करने के लिए हज़ारों की संख्या में पुलिस बल तैनात करनी पड़ेगी जिससे राष्ट्रधन का अपव्यय होगा।दूसरा क़ुरान की दृष्टि से भी विवादित जगह पर नमाज़ अदा नहीं करी जा सकती है, ऐसे में वहाँ मस्जिद का निर्माण भी अर्थहीन साबित होगा।

दूसरा विकल्प यदि इस विवाद का निर्णय मुस्लिम समुदाय के पक्ष मे होता है तो १०० करोड़ हिंदुओं की आस्था पर आघात पहुँचेगा, राम लला आज जहाँ विराजमान है वहाँ से उन्हें हटाना हिंदू समाज को स्वीकार नहीं होगा। ऐसी स्थिति में देश की एकता और अखंडता पर ख़तरा उत्पन्न हो सकता है। इस निर्णय को लागू करना भी सरकार के लिए बहुत मुश्किल होगा। कोर्ट में जीतने पर भी मुस्लिम समाज के लिये भावनात्मक रूप से यह हार ही साबित होगी । गाँव गाँव में हिंदू और मुस्लिम दोनों सम्प्रदाय के लोग प्रेम और सौहार्द्र के साथ रहते हैं - उनमें दरार पैदा हो जाएगी और घृणा एवं रोष की चिंगारी सुलग सकती है।

तीसरा विकल्प यह है कि यदि सर्वोच्य न्यायालय राम मंदिर के अवशेषों के साक्ष्यों के आधार पर राम मंदिर के पक्ष में निर्णय देती है तो अल्प संख्यक की भावनाओं को ठेस पहुँचेगी और न्याय व्यवस्था के प्रति उनमें अविश्वास जगेगा l आज यदि वे न्यायालय के निर्णय को स्वीकार भी कर लेंगे तो आने वाले समय मे उनकी ये चोट दोबारा फिर विवाद को जन्म दे सकती है और चाहे ५० वर्ष बाद ही सही यह एक विकराल रूप धारण कर सकती है और भारत एक बार फिर संघर्ष की आग में झुलस सकता है।

चौथी बात - यदि भारत सरकार क़ानून बना कर मंदिर का निर्माण कराती है तो ऐसी स्थिति मे फिर एक बार मुस्लिम समाज को ठेस पहुँचेगी, उनका विश्वास न्याय व्यवस्था और सरकार के प्रति टूटेगा और एक बार फिर भारत हिंसा की आग मे झोंक दिया जाएगा और बहुत से लोग उग्रवाद का रास्ता चुन सकते हैं। जो भी पक्ष जीतेगा वह उत्सव बनाएगा और जो भी हारेगा वह मातम मनाएगा l ऐसी स्थिति में कोई भी संवेदनशील बुद्धिजीवी राष्ट्रप्रिय भारतीय शांति की कल्पना नहीं कर सकेगा। हम अपने देश को एक गृहयुद्ध की परिस्थिति में डाल देंगे, इस कलह और गृहयुद्ध की परिस्थिति से बचने के लिए हमें साथ आना बहुत आवश्यक है।एक स्नेह और सौहार्द्रपूर्ण वातावरण में बातचीत द्वारा आपसी समझौता करना होगा।

एक अलग दृष्टि से यह एक स्वर्णिम अवसर है। दोनो सम्प्रदायों के लिए यह एकता - प्रेम - भाईचारे और सहयोग की मिसाल बनने का एक अवसर है जो समूचे विश्व के लिए एक उदाहरण होगा - जब दोनो सम्प्रदायों के लोग एक साथ भव्य राम मंदिर के निर्माण के लिए खुले दिल से एक दूसरे का साथ देंगे। मुस्लिम समुदाय उपहार स्वरूप राम मंदिर के लिए एक ऐकड ज़मीन सहर्ष देंगे और हिंदू समाज मस्जिद के लिए राम जन्म भूमि से अलग उन्हें ५ एकड़ ज़मीन उपलब्ध कराएँगे जिसमें वे स्वतंत्र रूप से उसमें अस्पताल, स्कूल या मस्जिद बना सकते हैं।

हमारी आस्था का प्रतीक राम मंदिर का निर्माण होगा जिसके सामने एक तख़्त लगा होगा जिस पर स्वर्ण अक्षरों में अंकित होगा, “इस राम मंदिर का निर्माण भारत के हिंदू - मुस्लिम भाइयों के सम्मिलित सहयोग से किया गया है।” तब देश में अमन और चैन क़ायम होगा और इस विवाद का हमेशा के लिए अन्त हो जाएगा, मैं उन सब समस्त देश वासियों से आग्रह करता हूँ जिनकी मानवता में, अहिंसा में, प्रेम में, शांति में और मानवीय मूल्यों में विश्वास है कि वो सभी बुद्धिजीवी , और विशेष तौर से हमारे युवा जन मानस आगे आएँ और इस समस्या का समाधान आपसी संवाद एवं सहयोग से करने में अपना योगदान दें l हमें भारत को विकास के मार्ग पर आगे ले जाना है संघर्ष, हिंसा और युद्ध की आग में नहीं झोंकना है l हमारे देश की एकता और अखंडता सर्वोपरि है ज़रूरत इस बात की हैं कि राम जन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर का निर्माण दोनो सम्प्रदायों के सहयोग से हो और दोनो समुदाय मंदिर और मस्जिद का उत्सव मनाएँ।

 

सप्रेम।

श्री श्री रवि शंकर