ध्यान (meditation)

इस सरल ज्ञान के साथ ध्यान में गहरे उतर जाओ‌

हमारा शरीर एक ऐसे उपकरण की तरह है जिसे जीवन का दिव्य संगीत बजाने के लिए दैनिक स्वर सामंजस्य की आवश्यकता होती है। सही संगीत बजाने के लिए, एक आदर्श उपकरण महत्वपूर्ण है, वैसे ही एक अच्छा व गहरा ध्यान करने के लिए एक स्वस्थ शरीर का होना बहुत महत्वपूर्ण है। पदार्थ पर हमारा लगाव हमारे भौतिक शरीर पर हमारा ध्यान केंद्रित करता है (कभी-कभी बहुत ज्यादा) और हम  सभी प्रकार के जंक फूड के साथ शरीर को गलत तरह के खाना खाने की आदतें डाल देते है। खराब खाने-पीने की आदतें, ज़रुरत से ज़्यादा नींद लेना और शरीर व मन का वर्षों से दुरूपयोग करने से हमारे शरीर का बीमारियों से ग्रस्त हो जाना स्वाभविक हो जाता है।

भोजन न केवल शरीर को पोषण करता है बल्कि मन को और अधिक सतर्क और जागरूक बनाता है।

हमको यकीन है की आपके साथ भी कुछ दिन ऐसे होते होंगे जब आपका ध्यान बिलकुल नहीं लगता होगा। जब भी आप आँखें बंद करते होंगे तो असंख्य विचार आपको घेर लेते होंगे। आपका ध्यान न लगने का कारन आपकी खाने-पीने की आदतों से सम्बंधित हो सकता है। अच्छा ध्यान करने के लिए सही खान-पान की आदतों को जीवन में उतारना आव्यशक है।

हमारी शारीरिक व मानसिक प्रकृति हमारे खाने-पीने की आदतों पर निर्भर करती है

आयुर्वेद, जीवन का प्राचीन ज्ञान, मानव शरीर के प्रकार और इसके दोषों या असंतुलन को तीन व्यापक श्रेणियों- वात, पित्त और कफ में विभाजित करता है। हमारे पास गुण (मानसिक संघटन) भी है, जिन्हें तमस, रजस और सत्व कहा जाता है। प्रकृति और गुणों का एक संयोजन हमारे व्यक्तित्व का प्रकार, स्वभाव, शरीर संरचना और आहार विकल्पों को निर्धारित करता है। हमारे मन में सत्त्व, रजस और तमस के अच्छे संतुलन के माध्यम से परिस्थितियों पर प्रतिक्रिया करने के बजाय हम उनको सही तरीके से डट कर सामना कर सकते हैं। मन की मूल प्रकृति शांत, खुश और रचनात्मक या सात्विक होना है। इसके साथ ही रजस व तमस की सही मात्रा हमारी दैनिक इच्छाओं और गतिविधियों को पूरा करने के लिये है। आयुर्वेद के अनुसार हमारा मानसिक व शारीरिक स्वस्थ्य हमारी खान-पान की आदतों पर निर्भर करता है।

सात्विक, तामसिक और राजसी व्यक्तियों के लक्षण

सात्विक गुण शांत, उत्साह, शुद्धता, रचनात्मकता और अनुभूति की स्पष्टता दर्शाते हैं। वे अपने आहार के प्रति बड़ी सावधानी बरतते हैं और केवल अपने शरीर के प्रकार के लिए जो उपयुक्त है जैसे ताजा पकी हुई हरी सब्जियां, अनाज और फल का खान-पान करते है। यह उन्हें पूरे दिन स्वस्थ, हल्का और ऊर्जावान रखता है।

तमस जड़ता और भारीपन है तामसिक व्यक्ति आलसी होता है। अत्यधिक  नींद लेते हैं और आसानी से चिड़चिड़े हो जाते हैं और पूरे दिन आलसी बने रहते हैं। ऐसे व्यक्ति हमेशा सुस्त रहते हैं और काम पर ध्यान केंद्रित नहीं कर सकते। हालांकि, समय पर भोजन करने में बहुत सक्रिय रहते हैं और सभी प्रकार के मांस और भारी भोजन खा सकते हैं।

राजस गन के व्यक्ति अपने दिनचर्या के कामों पर अपना ध्यान केंद्रित कर सकते हैं परन्तु जल्दी बैचैन व गुस्सा हो जाते हैं। ऐसे लोग बहुत हंकारी, महत्वाकांक्षी, आक्रामक होते हैं। वे जल्दी अपनी मानसिक ऊर्जा खो देते हैं। अधिकांश ऐसे लोग गर्म, मसालेदार भोजन और मिठाइयां खाना पसंद करते है।

प्रकृति के लक्षण (शरीर का प्रकार):

वात प्रधान व्यक्ति:

  1. आवेगशील पर रचनात्मक
  2. तत्काल सीखनेवाला और नए ज्ञान को समझ लेना लेकिन आसानी से भूल जाना
  3. विचारों और अवधारणाओं से भरा मन
  4. पतला व लम्बा शरीर
  5. ठंडे मौसम में हाथ और पैर का ठंड़े पड़ जाना और असुविधा होना
  6. उत्तेजित, जीवंत और मजेदार
  7. परिवर्तनशील मनोदशा और अनियमित दिनचर्या
  8. ऊर्जावान
  9. संतुलन से बाहर होने पर चिंता, डर और दु:ख की और उन्मुख
  10. शुष्क त्वचा और केश कम या कोई पसीना नहीं

पित्त प्रधान व्यक्ति:

  1. मध्यम काया, मजबूत और सुगठित तन साथ ही तीक्ष्ण मन, और अच्छी एकाग्रता शक्ति
  2. व्यवस्थित, केंद्रित, हठ्धर्मी, आत्मविश्वासी, अच्छा सार्वजनिक वक्ता
  3. उत्कृष्ट प्रबंधन, नेतृत्वशीलता और उद्यमशीलता योग्यताएं होना
  4. जब संतुलन से बाहर हो जाए तो आक्रामक, झुंझलाहट नखरे करने वाला, अधीर और गुस्सैल, दबंग, रौब जमानेवाला और अतिमहत्वाकांक्षी
  5. प्रतिस्पर्धी,जुनूनी,रुमानी
  6. मजबूत पाचन तंत्र और तेज भूख, चिड़चिड़ा हो जाना अगर आपको आहार न मिले या आहार का इंतजार करना पड़े
  7. चिड़चिड़ाह्ट और क्रोध से ग्रस्त
  8. सामान्य शारीरिक समस्याओं में त्वचा पर लाल चकत्ते या सूजन या मुँहासे, फोड़े, त्वचा के कैंसर, अल्सर, हृद्रय शूल, पेट में एसिड और अनिद्रा, शुष्क आंखें या आंखों में दंश शामिल है।

कफ प्रधान व्यक्ति:

  1. स्थिर, विश्वसनीय, वफादार,लापरवाह,निश्चिंत, धीमी गतिशीलता के साथ स्नेही, प्रेमी और  क्षमावान, दयालु और  अन-आलोचनात्मक प्रकृति वाला
  2. शारीरिक रुप से मजबूत होने के साथ-साथ हट्टा-कट्टा, भारी, और ऊर्जावान संघटक वाला
  3. सुचिंतित विचार प्रक्रिया के साथ भाषण में धीमा तथा विचारशील
  4. सीखने में समय लगता है, लेकिन सबसे लंबे समय तक बरकरार रखता है
  5. बड़ी "कोमल" आँखों के साथ नाजुक बाल और त्वचा और मंद और मृदु आवाज ।अधिक वजन धारण करने की प्रवृति और मंद पाचन
  6. अवसाद से ग्रस्त, लेकिन आत्मनिर्भर, सौम्य, और आवश्यक रुप से जीवन के प्रति मांग न रखनेवाला दृष्टिकोण
  7. उत्कृष्ट स्वास्थ्य और एक कुशल प्रतिरक्षा प्रणाली
  8. आपातकालीन स्थिति के दौरान भी आसानी से उदिग्न नहीं नहीं होने वाला, और शांत रहने वाला
  9. अपने परिवेश में सद्भाव और शांति बनाए रखने के लिए प्रयत्नशील
  10. दूसरों के लिए स्थिरता की स्थिति
  11. स्वामित्व भाव
  12. शीत और आर्द्र मौसम पसंद नहीं होना
  13. शारीरिक रूप से सर्दी और नाकबंद, साइनस सिरदर्द, अस्थमा, एलर्जी, और एथरोस्क्लेरोसिस (धमनियों का सख्त होना) सहित श्वसन समस्याओं से ग्रस्त होना

आयुर्वेद की मदद से आप अपने आहार का चयन करें

आपने आहार की आदतों में साधारण सा परिवर्तन आपको एक स्वस्थ और संतुलित जीवन प्रदान करने में मदद करता है, और गहरे ध्यान का भी अनुभव होता है। हमारे मनोवैज्ञानिक संतुलन बनाए रखने के लिए तीन गुण (तमस, रजस और सत्त्व) आवश्यक हैं। एक आदर्श सात्विक आहार आपको अपनी प्रकृति में रहने में मदद कर सकता है। जितना उच्च सत्त्व, उतना गहरा तुम्हारा ध्यान होगा। बुद्धिमानी से अपने भोजन को चुनें और ध्यान के आनंदमय अनुभव के साथ अपना रास्ता अपनाएं। एक स्वस्थ शरीर और एक शांत मन हमें बेहतर ध्यान के अनुभव में मदद करते हैं और हम अपने भीतर और गहरे उतरते जाते हैं। शाकाहारी भोजन शरीर के लिये सुगम होता है और ध्यान के लिए भी अनुकूल है।

आपकी आदतेंप्रकृति प्रकार / Personality Typeक्या खाएं / What to eatक्या न खाएं / What to avoid
 

दिन रात भूखा अनुभव करते हैं।

 

फुर्तीला और सदा असहज रहते हैं।

 

तेज बोलते हैं।
आप शायद वात प्रकृति वाले हैं।

फल - केला, संतरा, आड़ू  

सब्जियां - ऐस्पैरागस, ताजे मटर, भिंडी (कम मसाले में पकी)

अनाज - ओट या पूरे दाने वाला चावल, आटा अच्छे से पका हुआ


- थोड़ा दूध, पनीर, तजा दही, छांछ और मक्खन खा सकते हैं
फल -

सूखे मेवे जो भिगोये नहीं गए हैं। सेब, खरबूजा, कच्चा सलाद क्योंकि ये सूखापन बढ़ाते हैं और कब्ज़ और अपच का कारण बनते हैं।

सब्जियां - ब्रोक्कोली, गोभी, बंध गोभी ये गैस बनाते हैं।

दालें-  बीन्स मुश्किल से पचते हैं छोले और राजमा से बचे

मीठा - चीनी (सफ़ेद शक्कर)

मसाले - लाल और हरी मिर्च

भूख नियंत्रित नहीं होती अगर आप खाने के  लिए लेट हो रहे हैं।

समय के पाबंद हैं और समय की बर्बादी पर पछताते हैं।

रात में गर्मी और प्यास के  कारण उठ जाते हैं।

स्थिति को नियंत्रण में लेते है या फिर लेना चाहते है।

आप पित्त शायद प्रकृति से हैं।

फल - अंगूर, नारियल और अवोकेडो

सब्जियां - ऐस्पैरागस, गोभी और बांध गोभी

अनाज - आटा, चावल और बाजरा

दुग्ध उत्पाद - ताजा दूध, मक्खन और छांछ

फल - खट्टे फल

अनाज - मैदा (पिज्जा और सफ़ेद ब्रेड)

मीठा - चीनी

सीज़निंग - अचार, मसाले, मसालेदार या तीखे सलाद, सॉसेस, सिरका, हरी और लाल मिर्च

काफी सोचकर निर्णय लेते हैं।

धीरे धीरे चलते हैं और बिस्तर पर लम्बे समय तक रहते हैं।

जैसा भी है उसी में खुश और दूसरे को शांत करने में लगे रहते हैं।

 

भावनात्मक भोजन की तलाश में रहते हैं।

अधिक वजन होने पर भी शरीर की गति संयमित और आराम से चलते हैं।

आप शायद कफ प्रकृति से हैं।

फल - नीबू, सेब, अनार

सब्जियां - कद्दू, चुकंदर और करि पत्तेदार सब्जियां

अनाज - मक्का और जौ    

दुग्ध उत्पाद - बकरी का दूध और बिना नमक की छांछ

मसाले - सभी मसाले अच्छे हैं और अदरक सबसे अच्छा

अनाज - मैदा (सफ़ेद ब्रेड, पिज़्ज़ा और पेस्ट्रीज )

दुग्ध उत्पाद - दही

मीठा - चीनी 

ध्यान में गहरा अनुभव करने के लिए ५ सुझाव

  • शाकाहार को अपनाये - ये स्वास्थ्यप्रद है और ध्यान को आसान करता है।
  • अधिक ताजे फल और हरी सब्जियां खाएं - ये आपके आहार में रेशेदार भोजन को बढ़ाता है।
  • खूब पानी पिए - प्रतिदिन कम से कम २ लीटर पानी पीना अच्छा है । कोला के स्थान पर फलों का रस सेवन करें।
  • उचित मात्रा में खाएं - ध्यान से पूर्व बहुत अधिक न खाएं क्योंकि भारी पेट ध्यान नहीं लगता है।
  • सात्विक आहार लें - सत्व की बढ़ी अवस्था में ध्यान गहरा होता है।

नोट: अपनी प्रकृति के विषय में जानने और ध्यान के अच्छे अनुभव के लिए उचित भोजन की सलाह के लिए किसी श्री श्री आयुर्वेद के डॉक्टर से मिले और अपना नाड़ी परीक्षण कराएं। अच्छा खाएं और अच्छे से जिए और अच्छा ध्यान करें ।

अपनी प्रकृति के बारें में अधिक जानकारी के लिए, हमारे किसी भी आयुर्वेद थेरेपी सेंटर में जाकर डॉक्टर से परामर्श ले सकते हैं ।

श्री श्री रवि शंकर जी की ज्ञान वार्ता से प्रेरित

जीवन में उत्साह की कमी या असहजता का अनुभव हो रहा है?  क्या भावनाये आपके व्यक्तिगत और कार्यक्षेत्र के जीवन में मुश्किलें ला रही हैं?  निचे दिए फॉर्म को भरे और सीखे ध्यान किस प्रकार आपके रोजमर्रा की जिंदगी में होने वाली समस्याओं से निजाद दिलाने में सहायक होता है और जीवन को सुन्दर बना देता हैं ।

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