ध्यान (meditation)

प्राण शक्ति की चाभी : ध्यान

 

क्या आप हमेशा थका या डल महसूस करते है?

 

“अभी एक घंटे पहले ही तो में उठा हूँ पर फिर भी एक दम थका हुआ फ़िल कर रहा हूँ।”

 

क्या आपके मन में कभी ऐसे विचार आते हैं? क्या आप कोई ऐसा उपाय ढूंढ रहे हैं जिससे आपकी प्राण उर्जा दिनभर बनी रहे? इसका एक सामान्य और बेहद सरल उपाय है, जो आपकी काफ़ी मदद करेगा। यह उपाय या तकनीक है – ध्यान

इसमें आपकी प्राण शक्ति को बढ़ाने की उर्जा है। कुछ न करने को ध्यान कहते हैं , ध्यान असीम उर्जा का सागर है और यह थकान, नकारात्मकता को पल में दूर कर देता है।

इस सृष्टि में रहने वाले हर जीवित प्राणी में उर्जा निरंतर बह रही है, इसी को संस्कृत में प्राण कहते हैं। इस उर्जा के 4 स्त्रोत हैं:-

  • भोजन
  • श्वास
  • नींद
  • एक प्रसन्न  मन

जब हम पहले तीन स्त्रोतों का अच्छे से ध्यान रखते हैं, तो जो उर्जा हमें चाहिए वह हम को अवश्य प्राप्त होगी। एक ध्यानस्थ मन कैसे उर्जा का स्त्रोत हो सकता है?

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हम शारीरिक कार्यों के द्वारा ही अपनी उर्जा शक्ति नहीं खोते बल्कि सोचने और योजना बनाने में व्यय कर देते हैं। निरंतर होने वाले आतंरिक वार्तालाप और मस्तिष्क में चलने वाले सोच-विचार भी हमें थका देते हैं । ध्यान के अभ्यास से हम तुरीय अवस्था में पहुँच जाते हैं, जो कि एक निर्मल और शांत अवस्था है, जो हमारी उर्जा को संभाल  कर रखती है।

ध्यान क्यों है असरदार

“जब मन व्याकुलता से मुक्त होता है, शांत होता है, अपने आप में डूबा होता है तब सहजता से ध्यान हो जाता है. ध्यान के माध्यम से आप अपने शरीर में नयी प्राण उर्जा उत्पन्न कर सकते हैं”

- गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर

  1. जब ध्यान की अवस्था गहरी होती है, तो इसका असर ध्यान पूर्ण होने के कुछ मिनटों बाद तक रहता है।
  2. मन शान्त है और शरीर को भी आराम है, यह हमें पूर्ण विश्राम देता है।
  3. ध्यान आपको प्रज्ञावान बनाता  है।
  4. ध्यान के समय हमारी ऑक्सीजन लेने की मात्रा में कमी आती है, ऐसा होने पर ध्यान के समय हम कुछ पलों के लिए गहन विश्राम में चले जाते हैं। ऐसा विश्राम जो कि हमें छह या आठ घंटे की नींद के बाद प्राप्त होता है, हालांकि, ध्यान नींद का विकल्प नहीं है।
  5. ध्यान के नियमित अभ्यास से स्वास्थ्य में सुधार आता है, सेहत अच्छी होती है, चेतना में तीक्ष्णता आती है और अच्छे ध्यान से आप हमेशा उर्जावान बने रहते हैं।

 

ध्यान करना सीखें

वह व्यक्ति जो नियमित ध्यान करता है, वो ध्यान की गहराई को अच्छे से अनुभव कर सकता है। जो ध्यान करना सीखना चाहते हैं उनके लिए भी यह बहुत आसान है। गुरुदेव के निरीक्षण में आप आसानी से ध्यान करना सीख सकते हैं। इसके नियमित अभ्यास के बाद, ध्यान की गहराई और अधिक अनुभव करने के लिए हमारा सुझाव है कि आप मंत्र ध्यान जिसे “सहज समाधि ध्यान” के नाम से जाना जाता है वह भी सीख सकते हैं । 

 

प्रतिदिन ऊर्जावान रहने के टिप्स:

  • चाहे आप कितने ही व्यस्त क्यों न हो लेकिन उस व्यस्तता में से 20 मिनट  ध्यान के लिए अवश्य निकालें।
  • ध्यान से पहले थोड़ा व्यायाम ज़रूर करें, इससे आप आसानी से ध्यान कर पाएंगे।
  • अपने खान-पान को लेकर थोड़ा सजग हो जाएँ, संतुलित आहार को अपनी जीवनशैली का हिस्सा बनायें। 
  • प्रतिदिन 6-8 घंटे की नींद अवश्य लें, यह स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभदायक है। ध्यान को नींद का विकल्प न बनायें।

 

ध्यान को तुर्या अवस्था कहा जाता है, यह एक ऐसी अवस्था है जहाँ जागृति और विश्राम एक साथ मौजूद होते हैं। हिंदू दर्शन में, तुर्या अवस्था, चौथी अवस्था है (एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है चौथा) यह शुद्ध चेतना की अवस्था है। तुर्या की पृष्ठभूमि यह है, जब चेतना तीन सामान्य अवस्थाओं को पार करती है: जागृत, स्वप्न और निद्रा। तुर्या मुक्ति की स्थिति है, यह सभी द्वंदों, घृणा और तृष्णा से मुक्ति की अवस्था है । ऐसी अवस्था में व्यक्ति स्वयं में असीम आनंद और प्रसन्नता को अनुभव करता है।

गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर जी के व्याख्यान से प्रेरित

डॉ. प्रेमा शेषाद्री जी, वरिष्ठ प्रशिक्षक, आर्ट ऑफ़ लिविंग द्वारा लिखित





 

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