ध्यान (meditation)

गहरे ध्यान के 7 सुनहरे नियम

"ध्यान" शब्द सुनकर लोगों को एक डर सा लगता है और ऐसा प्रतीत होता है कि ये उनसे नहीं होगा| अक्सर जब मेरे मित्र यह सुनते हैं कि मैं प्रतिदिन ध्यान करता हूँ तो उनकी प्रतिक्रिया होती है- "मैं कभी एक स्थान पर टिक कर बैठ नहीं सकती" या फिर "मैंने एक बार प्रयास किया था परन्तु मेरे मन में बहुत हलचल हुई"| ध्यान और ध्यान-मंत्र सीखने से पहले मेरा भी यही हाल था| मैं भी यही सोचता था कि मेरा मन, आँखे बंद करके, मुझे एक स्थान पर 5 सेकंड भी बैठने नहीं देगा| मुझे ध्यान सम्बन्धी पुस्तकें पढ़ने और ध्यान के बारे में विचार करने में बहुत रूचि थी किन्तु जब ध्यान करने की बारी आती तो मुझे असफलता ही हाथ लगती|

एक योग्य शिक्षक से ध्यान सीखने के बाद मुझे पता चला कि, प्रश्न यह नहीं था कि, क्या मुझमें ध्यान करने की योग्यता है? अपितु प्रश्न था कि क्या मुझे ध्यान करने की सही विधि समझ आयी या नहीं|

 

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ध्यान करने के विषय में अनेकों मत जानने के बाद यह निर्णय करना अत्यधिक कठिन हो जाता है कि ध्यान की सर्वोत्तम विधि क्या है और आप सही प्रकार से ध्यान कर रहे हैं या नहीं?

यह जानने के लिए कि आप सही प्रकार से ध्यान कर रहे हैं या नहीं, इन पांच लक्षणों को परखें:

1. देखें कि आप ध्यान निर्देशों का सही प्रकार से पालन कर रहे हैं

क्या आपने अनुभव किया है कि जब कोई निर्देश दे रहा हो, तब ध्यान में गहरे डूबना काफी सरल तो जाता है? बहुत से लोगों के लिए व्यक्तिगत साधना प्रारम्भ करने का सरल रास्ता है निर्देशित ध्यान | निर्देशित ध्यान को सुनते हुए सभी निर्देशों का अनुपालन करें, ये निर्देश हमारे लिए रेल की पटरी की तरह हैं जो हमें हमारे निर्दिष्ट लक्ष्य की ओर ले जाते हैं|

2. कोई भी उम्मीद न रखना

गाड़ी चलाते समय क्या आपने अनुभव किया है कि कभी तो आप खाली सड़क पर मनोहर दृश्य देखते हुए आनंदपूर्वक चल रहे होते हैं और कभी आप ट्रैफ़िक जाम में फंसे होते हैं? रास्ते में जो कुछ भी हो, अन्ततोगत्वा आप मंजिल पर पहुँच जाते हैं| इसी प्रकार, मन में कुछ भी हो, कितने भी विचार चल रहे हों, या आपका मन पूर्ण शांत हो, ध्यान का प्रभाव हमारे मन पर हमेशा पड़ता है| ध्यान से मन की शुद्धि होती है, हमें विश्राम मिलता है और हमारे अंतर्मन का प्रसार होता है|

ध्यान के समय यदि मन में हलचल हो रही हो तो हम उस अनुभव के कारणों को खोजने की चेष्टा करते हैं| उस अशांत अनुभव के कारणों को खोजने और उस ध्यान को "अच्छा" या "बुरा" ध्यान मानने के बदले हमें यह पहचानना चाहिए कि ध्यान के दौरान जो कुछ भी हो रहा है वह तनाव मुक्ति की प्रक्रिया का अंग है| चाहे हम बिखरा हुआ महसूस करें या परम आनंद का अनुभव करें, यह सब उस अनुभव का लाभकारी अंग है!

3. अपने दैनिक जीवन में सकारात्मक परिवर्तन का अनुभव करना

यद्यपि कई लोग ध्यान के लिए आँखें बंद करने के पश्चात होने वाले अनुभवों से अपने ध्यान को मूल्यांकित करते हैं परन्तु ध्यान का वास्तविक मूल्यांकन हमारे दैनिक व्यवहार में होने वाले परिवर्तन पर आधारित होना चाहिए| यदि दैनिक जीवन में आप अधिक शांति, विश्राम और शुद्ध मन का अनुभव करने लगें और अन्य प्राणियों के प्रति आपके मन में संवेदनशीलता जाग्रत हो, तब जान लें की आप का ध्यान प्रभावी ढंग से काम कर रहा है| और यदि आप दिन भर में अकारण ही हर्ष का अनुभव करें तो निश्चय ही आप सही प्रकार से ध्यान कर रहे हैं|

अगर आप कोई भी परिवर्तन नहीं महसूस कर रहे हैं, तो भी यह संभव है की आप ठीक प्रकार से ध्यान कर रहे हैं, कई बार हमारे अंदर हो रहे परिवर्तन अत्यधिक सूक्ष्म होते हैं| यदि आपको कोई भी संशय हो, तो आप अपने शिक्षक से परामर्श करें|

4. इच्छाओं से विमुक्त होना

क्या आप कभी-कभी अपने आप को अपनी इच्छाओं और चिंताओं में घिरा हुआ पाते हैं? इच्छाएं सभी के मन में उठती हैं और ध्यान का लक्ष्य सभी इच्छाओं का अंत करना नहीं है| अपितु, दीर्घ काल तक सही विधि से ध्यान का अभ्यास करने से हमारे भीतर इच्छाओं के प्रति वैराग्य की भावना उत्पन्न होती है; आप इस तथ्य के प्रति सजग हो जाते हैं तो आप पाते हैं कि आप इच्छाओं को नियंत्रित कर रहे हैं न की इच्छाएं आपको|

गुरुदेव श्री श्री रविशंकर जी के अनुसार "आपके अंदर इच्छाओं के होने में कोई समस्या नहीं है, किन्तु इच्छाओं को अपने ऊपर नियंत्रण न करने दें|" "मुझे कुछ नहीं चाहिए, मुझे कुछ नहीं करना है, और मैं कुछ नहीं हूँ" ऐसा सोचने से ही ध्यान संभव है|

5. ध्यान के समय आराम दायक आसन ग्रहण करना:

हमेशा बैठ कर ध्यान करना ही उचित है| चाहे आप सोफे पर बैठें, या कुर्सी पर या बिस्तर पर, या फिर फर्श पर ही क्यों न हो, ध्यान रहे की आप लेटें नहीं और अपने शरीर को टेढ़ा भी न होने दें| लेटने से आप नींद में जा सकते हैं, क्योंकि लेटने पर शरीर को निद्रा की अपेक्षा होती है|

पीठ को सीधा रख कर बैठना अति आवश्यक है, परन्तु एक गहरे और अच्छे ध्यान के लिए शरीर को आरामदायक स्थिति में रखना भी उतना ही जरूरी है| यदि आप पाते हैं कि आप हिल-डुल रहे हैं और आपके शरीर में हो रही पीड़ा से आपका मन प्रभावित हो रहा है, तो आप ध्यान से पूर्व कुछ योग-आसन करके अपने शरीर के तनाव को निकाल दें और योग के द्वारा अपने शरीर को बलशाली और लचीला बनायें। ऐसा करने से आप लम्बे समय तक ध्यान के लिए आराम पूर्वक बैठ सकते हैं|

गुरुदेव श्री श्री रविशंकर जी कहते हैं कि ध्यान करना "कुछ भी न करने की और छोड़ने की कला है|"

उपर्युक्त सूचि से यह स्पष्ट है कि कोई भी एक अच्छा या बुरा अनुभव साधना की पूर्णता या असफलता का द्योतक नहीं होता| तथापि, यह सुनिश्चित करने के लिए कि आप भली प्रकार सीख रहे हैं, अपने नजदीक के सहज समाधि शिक्षक से संपर्क करें| उनसे न केवल आप सही तकनीक सीख पाएंगे, आपको एक अनुभवी मार्गदर्शक भी मिल जायेगा, जो यदा-कदा आपके संशय दूर करने में आपकी मदद कर सकेंगे।

गुरुदेव श्री श्री रविशंकर जी की ज्ञानवार्ताओं पर आधारित

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