आयुर्वेद

आयुर्वेद की दृष्टि से दैनिक जल सेवन

पानी, सोम का प्रतिनिधित्व है, पौष्टिक, शीतलन गुण जो चंद्रमा की ऊर्जा से जुड़ा है। यह पाचन में मदद करता है, पित्त दोष को शीतल एवं संतुलित करता है, कफ प्रकृति का सहयोग करता है, और वात की शुष्कता का प्रतिकार करता है। यह पोषण करता है, शरीर में चिकनाई देता है और विषहरण भी करता है जब यह पेशाब के रूप में शरीर से बाहर निकलता है।

प्रणालीयों को साफ करने के लिए और नमी अवशोषण में वृद्धि के लिए, ग्रंथों में पानी को अलग-अलग समय तक उबालने की सलाह दी गई है; उष्नोदक यानी चिकित्सीय जल पैदा करते हुए। एक और तरीका है उबालने के बाद पानी में मसाले या जड़ी-बूटियाँ मिलाना। प्राचीन ग्रंथ नियमित पानी बनाम उबले हुए पानी के अवशोषण की गति में अंतर के बारे में बात करते हैं :

  1. साधारण जल - यदि प्रत्येक प्रणाली साफ हो तो लगभग 6 घंटे लगते हैं
  2. उबालकर ठंडा किया हुआ जल - अवशोषित होने में लगभग 3 घंटे लगते हैं और प्रणालीयों को खोलने में मदद मिलती है
  3. गर्म, जड़ी-बूटी वाला पानी - लगभग 1½ घंटा लगता है, अग्नि की तीक्ष्णता और जड़ी-बूटियों एवं मसालों के कारण

आपके शरीर की प्रकृति के लिए जल

आपको कितना पानी पीना चाहिए यह निर्भर करता है आपकी उम्र पर, शारीरिक श्रम या व्यायाम पर, मौसम पर, आपके आहार पर, आपके तनाव स्तरों पर, आपके हर्बल फ़ूड सप्लीमेंट्स पर, और आपके शरीर की प्रकृति पर। गर्म, पित्त प्रकृति वाले लोगों को आमतौर पर, कफ प्रकृति वाले लोगों से ज़्यादा प्यास लगती है। वात प्रकृति के लोगों को अक्सर कब्ज़ रहती है या रूखी त्वचा होती है और इसलिए, इन्हें ज़्यादा पानी पीने की जरूरत होती है। आयुर्वेद का सुझाव है कि जिस तरह से आप पानी पीने का चुनाव करते हैं वह आपके स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।

पानी पीने का आयुर्वेदिक तरीका :

  1. सबसे पहले, बैठकर पानी पिएं (ठीक वैसे ही जैसे आपको खाने के लिए बैठना चाहिए)।
  2. एक घूंट पानी पिएं, पूरा गिलास पानी नहीं पिएं।
  3. एक घूंट भरें, निगलें, सांस लें। दोहराएं।
  4. दिनभर घूंट घूंट करके पानी पिएं। अगर एक बार में बहुत अधिक पानी निगल लिया तो आपका शरीर उस को अवशोषित नहीं करता है। इसमें से अधिकांश सिर्फ आपके भीतर से होकर निकल जाता है।
  5. पानी का तापमान कम से कम कमरे के तापमान के समान होना चाहिए। गर्म हमेशा बेहतर होता है। ठंडा और बर्फीला पानी सचमुच आपकी पाचन अग्नि को बंद कर देता है।
  6. खाने के बाद, एक घूंट पानी पिएं। यदि आप खाना खाते समय बहुत अधिक पानी पीते हैं तो आपके पेट में पाचन क्रिया के लिए पर्याप्त स्थान नहीं होगा। यह नियम याद रखें : अपना पेट 50% भोजन से भरें, 25% पानी से और 25% खाली छोड़ें।
  7. इसी कारण से, भोजन से पहले या बाद में बहुत सारा पानी न पियें। जैसा कि हम पहले ही कह चुके हैं - अपना पेट 50% भोजन से भरें, 25% पानी से और 25% खाली छोड़ें।
  8. प्यास लगने पर पानी पिएं। प्यास एक प्राकृतिक प्रवृत्ति है जिसका आपको पालन करना चाहिए। इसका मतलब है कि शरीर को पानी की जरूरत है।
  9. मात्रा के संबंध में, हम सभी अलग-अलग हैं; अलग-अलग आकार, अलग-अलग आहार और अलग-अलग जीवन शैली है। एक दिन में आठ गिलास पानी का सार्वभौमिक नियम सभी पर लागू नहीं होता है। बेशक, अद्भुत मानव शरीर की अपनी अन्तर्निहित माप प्रणाली है : प्यास। अगर प्यास लगे तो पानी पिएं। जब आप प्यास के संकेतों को सुनते हैं और दिन भर पानी पीते रहते हैं तो आपके लिए यह एक सही सौदा होगा।‌
  10. आपका पेशाब एक और परीक्षण है कि आपका शरीर ठीक से हाइड्रेटेड है या नहीं। यह बिल्कुल साफ और भूसे के रंग का होना चाहिए। यदि पेशाब गहरा पीला है तो आपको अधिक पानी पीने की आवश्यकता है।
  11. आपके होंठ एक और संकेतक हैं। यदि वे सूखे हैं तो संभावना है कि आपके शरीर में पानी की कमी है।

नियम बहुत सरल हैं, और शायद स्पष्ट भी। हालांकि, वे हमारे दैनिक आधार पर महसूस करने के तरीके में एक गंभीर परिवर्तन ला सकते हैं। महत्वपूर्ण नियम यह है कि हम जो खाते-पीते हैं, उससे हम अवगत हो जाते हैं और अपने शरीर के संकेतों को सुनने को भी अवगत हो जाते हैं। पानी की प्यास को नज़रअंदाज़ न करें।

सामग्री, जो और अधिक विषहरण करने के लिए पानी में डाली जा सकती है

नींबू

पानी के साथ नींबू का मिश्रण पीने से शरीर को शुद्ध और एल्कलाइन करने में मदद मिलती है। एक बड़े जग में एक पतला कटा हुआ नींबू डालें या अपने गिलास में ताजा नींबू का रस निचोड़ें। सुबह सबसे पहले इसे पिएं और नाश्ता करने के लिए लगभग 30 मिनट तक प्रतीक्षा करें।

नींबू पानी सूजन को कम करता है, पाचन में सहायता करता है, वज़न कम करने में आपकी मदद करता है, आपकी त्वचा को दाग-धब्बों से मुक्त रखता है, यह आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देता है, यह आपकी सांसों को तरोताजा कर देता है और वायरल संक्रमण से लड़ता है।

पुदीना

पुदीना, आपके पानी में चीनी के बिना मिठास का असर छोड़ता है, और पाचन में सहायक होता है।

खीरा

अपने पानी में खीरे के कुछ स्लाइस डालने से अत्युत्तम पुनर्जलीकरण होता है। इसके अलावा, इसमें सूजनरोधी गुण भी होते हैं।

अदरक

यह कहने की जरूरत नहीं है कि अदरक के बहुत सारे स्वास्थ्य लाभ हैं। यह आपके सिस्टम को साफ करने में मदद करता है, पाचन में सहायक होता है, और आपका पेट ठीक करता है। अपने पानी में कुछ पतले स्लाइस डालें या उसमें एक छोटा-सा टुकड़ा कद्दूकस कर लें। आवश्यकतानुसार, और अधिक डालने से पहले चख लें।

अपने शरीर को ठीक से हाइड्रेट करें,‌ अपने पीने और खाने की आदतों में सजगता जोड़ दें,‌ और इसे एक पवित्र कार्य समझें। तब और केवल तब ही आप भौतिक शरीर को ठीक करना शुरू कर पाएंगे।

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