वर्तमान में कैसे जियें (How to be in Present Moment in hindi)

गुरुदेव , यह मन संतों और धार्मिक नेताओं द्वारा गलत काम किये जा रहे हैं ,ऐसा सुनने पर परेशान हो जाता है। इस स्थिति को कैसे संभालें कृपया हमारा मार्गदर्शन करें ।

Sri Sri Ravi Shankar:

भारतवर्ष में हजारों संत और धार्मिक नेता हैं । इन में से , यदि दो या तीन अनुचित काम करते पाए जाते हैं या फिर वे अनुपयुक्त विचारों में उलझे हैं, तो इसके लिए आप को अपने मन को परेशान नहीं करना है और न ही नकारात्मक होना है । जो भी अनुचित काम कर रहा है, उसे निश्चित रूप से पछताना पड़ेगा और इसका मूल्य चुकाना पड़ेगा . ये उनके कर्म हैं और उनसे घृणा नहीं करनी चाहिये, क्योंकि उन्होंने जो भी भी किया, वो अज्ञानता वश और गलत शिक्षा के कारणवश किया ।

आप बस आगे बढिए ।

रामायण में लंका के राजा, रावण, ने भी साधू का वेश धारण करके देवी सीता का हरण किया था । उसी प्रकार, आज भी कुछ लोग ऐसे अवश्य होंगे, जिनकी सोच ऐसी ही होगी । इसमें कोई क्या कर सकता है ? यदि रावण ने साधु का वेश धारण नहीं किया होता तो आज रामायण भी न होती । 

समाज के हर वर्ग में ऐसे विधर्मी लोग पाये जाते हैं । ऐसे कुछ गलत काम करने वाले लोग अपने अनुचित कर्मों से पूरे क्षेत्र को बदनाम कर देते हैं ।

ऐसे समाचार आये थे कि कुछ डॉक्टर ऑपरेशन के समय अपने मरीजों की किडनी चुरा कर पैसा कमा रहे हैं । परंतु क्या इसका अर्थ यह है कि आप इस विषय में सोचते रहें और इतना डर जायें कि आप डॉक्टरों के पास जाना ही बंद कर दें?
इसी प्रकार, कुछ दुकानदार भी अनाज और चीनी में मिलावट करके धन कमाते हैं । वे दूध और मक्खन में भी मिलावट करते हैं । परंतु इसके कारण आप सभी दुकानें बंद कर देंगे तो समाज कैसे चलेगा ? यदि आप जीवन में हर चीज़ पर संदेह और अविश्वास करने लगेंगे, तो इसका कोई लाभ नहीं होगा । जब आप कुछ लोगों को ऐसा गलत काम करते देखते हैं, तो आपको उनके प्रति करुणा और दया अनुभव करनी चाहिये । आपको समझना चाहिए कि वह उचित मार्ग से भटक गये हैं । 

कभी-कभी ईमानदार और निर्दोष लोगों पर भी आपराधिक मामलों में झूठे आरोप लगा दिए जाते हैं । उदहारण के लिए , कांची मठ के शंकराचार्य पर एक आपराधिक मामले में झूठा आरोप लगाया गया था । अदालतों में नौ वर्ष तक कानूनी मुकदमा चला और इतने लम्बे मुक़दमे के बाद, अंततः उन्हें निदोष पाया गया । परंतु मीडिया ने इस निर्दोष पाये जाने और छूट जाने का समाचार मात्र आठ मिनट के लिए दिखाया । इस प्रकार, ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण चीजें अच्छे लोगों के साथ भी होती हैं , और आपको इसे उनके कर्मों का फल मानना चाहिये ।आपको इन घटनाओं से सबक लेना चाहिए कि आपको गलत कामों में संलिप्त नहीं होना । सबका सम्मान करें , उनकी अच्छी बातों को ग्रहण करें और अपने जीवन में धारण करें ।​ 

संसार में आज आप जितनी भी अच्छी चीजें देख रहे हैं , सब ईश्वर की दी हुई हैं । और सभी बुरे गुण और आदतें ईश्वर को न जानने के कारण हैं । जब गलत ज्ञान के कारण या फिर अज्ञानतावश किसी की विचारधारा धूमिल और उलझन भरी हो जाती है , तब वो ऐसे गलत काम करता है । इसलिये इसे समझें और शांत हो जायें ।

मैं जानता हूँ कि यहाँ उपस्थित आप सबके मन में एक और प्रश्न है कि यह व्यक्ति का भाग्य है या उसके कर्म ,जोकि उसके जीवन में भूमिका निभाते हैं । आप में से कितने लोगों के मन में यह प्रश्न है ? ( श्रोताओं में से बहुत से लोगों ने हाथ उठाये )


जीवन आपके भाग्य और आपके प्रयासों का संयोजन है । मैं इसे एक साधारण उदाहरण से समझाता हूँ । एक आयु के बाद, आपका कद बढता है क्या ? चाहे पांच फुट हो या छः फुट , एक आयु के बाद आपका कद और नहीं बढता । आपका कद आपके भाग्य के समान है और आपका भार आपके प्रयासों के समान है । आप चाहें तो अपने भार को १० किलो बढ़ा सकते हैं या फिर २० किलो घटा सकते हैं , यह आप पर निर्भर करता है । यदि आप सोचते हैं कि आप अपने वजन को घटा या बढ़ा नहीं सकते ,तो आप गलत सोचते हैं ।

आप अपना वजन घटा या बड़ा सकते हैं, और यह आपकी स्वेच्छा है । भाग्य यह जान लेना है कि आप एक आयु के बाद अपने कद को बढ़ा या घटा नहीं सकते ।

बाहर वर्षा का होना, भाग्य है । भीगना या न भीगना आपका चुनाव है । यह आपका अपना प्रयास है । यदि आप छाता लेकर चलते हैं तो आप नहीं भीगेंगे , अन्यथा आप पूरी तरह से भीग जायेंगे । अध्यात्म के मार्ग पर चलने का अर्थ है अपने भाग्य और स्व-प्रयासों की गुणवता को बढ़ाना ।