महाशिवरात्रि के बारे में

महाशिवरात्रि वर्ष के कुछ विशेष शुभ दिनों में से एक माना जाता है| महाशिवरात्रि आत्मा और मन को गहरा विश्राम देती है। जब आपका मन और आत्मा पूर्णतः उद्दीप्त और खिले हुए होते हैं तब आप सबसे परे उस परम अवस्था "शिव तत्त्व" में पहुँच जाते हैं|

 

शिवरात्रि या महाशिवरात्रि क्या है?

 

हमारे भीतर शिव तत्त्व का उत्सव ही शिवरात्रि है। महाशिवरात्रि संपूर्ण सत्ता की ध्यानावस्था "शिव" का दिन है। यह 'दिव्यता' सर्वव्यापी,सर्वशक्तिमान और सबसे उदार है। लेकिन, शिव कोई व्यक्ति नहीं है यह वह तत्त्व है जो संपूर्ण सृष्टि की 'परम-दिव्यता' है तथा समस्त ब्रह्माण्ड में विद्यमान है। शिव तत्त्व जीवन का सार है तथा सभी जीवों के भीतर उपस्थित है|

लेकिन, हम यह भूल जाते हैं कि यह शक्ति हमारे भीतर ही है। महाशिवरात्रि हमें शांति, अनंतता, सुंदरता और अद्वैत 'शिव' में शरण लेने का अवसर देती है| आप शिव की शरण लेते हैं क्योंकि आपका वास्तविक स्वरूप शिव है। स्वयं में शिव तत्त्व को मनाना ही 'महाशिवरात्रि' का सार है।

हम अपने भीतर गहरे डूबकर,आनन्दित होकर तथा शिव ऊर्जा के ध्यान में लीन होकर 'शिव-तत्त्व' का महा-उत्सव मनाते हैं। महाशिवरात्रि केवल शारीरिक आराम का समय नहीं है बल्कि मन और अहंकार के विश्राम का समय भी है। महाशिवरात्रि की रात्रि को जागरण की परंपरा है। शिवरात्रि पूरे विश्व के लिए संघर्ष से दूर रहकर, सौंदर्य, प्रेम और सत्य की ओर यात्रा करने का आह्वान है।

गुरुदेव श्री श्री रविशंकर जी के प्रवचन

महाशिवरात्रि क्या है?

शिव कौन हैं?

चेतना और पदार्थ!

महाशिवरात्रि और ध्यान!

वर्ष भर में कुछ विशेष दिन समस्त मानव जाति के आध्यात्मिक और मानसिक विकास के लिए बहुत पवित्र माने जाते हैं| महाशिवरात्रि उन सभी शुभ अवसरों में विशेष है|

महाशिवरात्रि, उस शिव ऊर्जा की आराधना का दिन है जो हमारे भीतर तथा सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में सर्वव्याप्त है| शिवरात्रि को ग्रहों और नक्षत्रों की एक विशिष्ट स्थिति और गति, हमें शिव-ऊर्जा और सहज-ध्यान का अनुभव कराती है| यह दिन अपने भीतर जाने का, ध्यान में डूबने का और परम-तत्व का उत्सव मनाने के लिए एक आदर्श दिन है|

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