योग के बारे में (yoga)

स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए सबसे उत्तम योग आसन | Best Yoga Poses for school going children

क्या आप जानते हैं शहर में सबसे अच्छा योग शिक्षक कौन है? नहीं, तो आप बच्चों को देखें। यह जानकर आश्चर्य होगा कि जिन योग आसन को करने के लिए आप अपने योग मैट पर संघर्ष करते हैं, उन्हें छोटे बच्चे सरलता से कर लेते हैं। चाहे शिशु हो या दूसरी कक्षा में पढ़ने वाला बच्चा वह हर समय योग करते हैं। जैसे-जैसे वह बड़े होने लगते हैं वह योग करना छोड़ देते हैं। उन्हें फिर से योग सीखने की जरूरत पडती हैं। दुनियाभर के स्कूल अब यह स्वीकार करने लगे हैं कि बच्चों के शारीरिक एवं मानसिक विकास के लिए योग एक महत्वपूर्ण भूमिका है और वे बच्चों को इस प्राचीन प्रथा में रुचि लेने के लिए प्रोत्साहितकर रहे हैं।

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योग के लाभकारी आसन स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए

स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए कुछ लाभकारी योग आसन की सूची :

1

प्रणाम आसन

Pranamasana

इस आसन से हर कोई परिचित है। हम इसे घर में हर दिन करते हैं जब मेहमानों और बड़ों का स्वागत करते हैं, और स्कूल में प्रार्थना के दौरान। यह आसन तंत्रिका तंत्र को आराम देता है और शरीर को बेहतर संतुलन देता है। यह सूर्य नमस्कार का पहला कदम है।

2

हस्तोत्तानासन

हालांकि यह एक सरल खिंचाव की तरह लगता है, हस्तोत्तानासन के अनेक (बहुसंख्यक) लाभ है।यह आसन कंधे को मजबूत (शक्तिशाली) बनाने में मदद करता है और रक्त में ऑक्सीजन के स्तर को बेहतर बनाता है।यह गर्दन और पीठ की मांसपेशियों को आराम देता है, रीढ़ की हड्डी में खिंचाव और पीठ के दर्द में आराम। यह पेट की मांसपेशियों के लिए भी अच्छा है क्योंकि उनमें खिंचाव पड़ता है। थायरॉयड ग्रंथि के लिए भी फायदेमंद है। यह सूर्य नमस्कार का दूसरा और ग्यारहवां कदम है।

HastaPadasana

सिर में रक्त परिसंचरण में सुधार लाने के लिए एक उत्कृष्ट आसन है। पाचन, तंत्रिका और अंत: स्रावी प्रणाली को उद्दीप्त करता है। यह रीढ़ की हड्डी, पीठ की मांसपेशियों और पैरों के पीछे में भी खिंचाव लाता है। यह सूर्य नमस्कार का तीसरा और दसवां कदम है।

4

अश्व संचालनासन

Ashwa Sanchalanasana

इस आसन के मुख्य लाभ हैं कमर और पैर का लचीलापन और पेट को साफ करना। यह सूर्य नमस्कार का चौथा और नौवां चरण है।

5

दंडासन

इस आसन में शरीर का पूरा भार (वजन) कलाई पर होता है और इस तरह उन्हें मजबूत (शक्तिशाली) करता है। यह हाथों और रीढ़ की हड्डी को भी मजबूत करता है और साथ ही पेट की मांसपेशियों को सख्त करता है। यह सूर्य नमस्कार का पांचवां चरण है।

6

अष्टांग नमस्कार

वस्तुतः इसमें आठ अंगों के साथ अभिवादन किया जाता है। यह आसन एक बार में ही आठ अंगों पर काम करता है। यह तनाव और चिंता कम करता है, पीठ की मांसपेशियों की शक्ति में सुधार और रीढ़ की हड्डी का लचीलापन बढ़ाता है। यह सूर्य नमस्कार का छठां चरण है।

Bhujangasan

भुजंगासन कंधे और गर्दन को खोलता है, पेट की मांसपेशियों को सख्त करता है, पीठ और कंधे को मज़बूती देता है, ऊपरी और मध्य पीठ के हिस्से में लचीलापन, रक्त परिसंचरण में सुधार, तनाव और थकान को कम कर देता है। यह सूर्य नमस्कार का सातवां चरण है।

 
8

पर्वतासन

Parvatasana

यह आसन पैर के पीछे के मांस पेशियों में, घुटने के पीछे की नसों में और पीठ की मांसपेशियों में खिंचाव लाता है। यह थकान को दूर करता है, स्मृति और एकाग्रता में सुधार लाता है। यह सूर्य नमस्कार का आठवां चरण है।

9

ताड़ासन

Tadasana

ताड़ासन जागरूकता, रक्त परिसंचरण और पाचन में सुधार लाता है। यह ऊर्जा और उत्साह भी बढ़ाता है। यह सूर्य नमस्कार का बारहवां और अंतिम चरण है।

Dhanurasana

यह आसन पीठ और पेट की मांसपेशियों को मजबूत करता है। और पीठ को अधिक लचीला बनाता है। इससे तनाव और थकान से मुक्ति मिलती है।

Vrikshasana in Hindi

वृक्षासन से मन संतुलित होता है, एकाग्रता बढ़ती है और यह पीठ, बांह, कमर तथा पैरों को मजबूत (शक्तिशाली) बनाता है।

Marjariasana

यह आसन मन को शांत करता है, रक्त परिसंचरण और पाचन बेहतर बनाता है। यह कलाई और कंधे भी मजबूत (शक्तिशाली) बनाता है।

 
13

वज्रासन

वज्रासन भोजन पचाने में और पैरों और जांघों की नसों को मजबूत बनाने के लिए एक उत्कृष्ट आसन है।

यह आसन तितिक्षा को बढ़ाता है, शरीर के संतुलन में सुधार, साहस और शांति लाता है यह हाथ, पैर और पीठ के निचले भाग को भी मजबूत (शक्तिशाली) बनाता है।

Balasana

शिशुआसन पीठ को विश्राम देने वाला और स्नायुतंत्र को शांत करने वाला योगासन है।

यह योगासन विशेषकर विद्यालय जाने वाले विद्यार्थियों के लिए उनके मानसिक और शारीरिक विकास में सहायक आसन है! इसमें होने वाले आसन विभिन्न मंसिपेशियो को शक्तिशाली बनाते है और सभी प्रकार के तनाव से मुक्त करके संतुलित मन और शरीर प्रदान करते हैं। योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं है, ये हमारी प्रकृति है। और जो हमारी प्रकृति होती है, वह हमारे विकास में सदैव सहायक होती है।

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