यदि तुम ध्यान नहीं कर सकते - बेवकूफ हो जाओ!
यदि तुम ध्यान करने में असमर्थ हो, यदि तुम्हारा मन अत्यधिक बातें कर रहा है और कुछ भी काम नहीं कर रहा, सिर्फ महसूस करो कि तुम थोड़े से बेवकूफ हो। तब तुम गहनता में डूब सकोगे।
तुम्हारी बुद्धि तुम्हारी सम्पूर्ण चेतना का एक छोटा सा अंश है।
यदि तुम बुद्धि में फँसे हो, तब तुम बहुत कुछ खो देते हो।
प्रसन्नता तब है जब तुम बुद्धि के परे जाते हो। जब तुम मूर्ख महसूस करते हो या अचम्भे में होते हो, तब तुम बुद्धि के परे जाते हो।
क्या तुमने गौर किया है कैसे मन्द बुद्धि के व्यक्त्ति ज्यादा खुश हैं?
प्रश्न: बुद्धि के परे कैसे जायें?
श्री श्री: बेवकूफ होने से! सब मूर्ख बनने से कतराते हैं - कोई भी बेवकूफ नहीं प्रतीत होना चाहता। यह सचमुच मूर्खता है।
मूर्खता के बाद ध्यान आवश्यक है वरना उदासीनता आ सकती है।
प्रश्न: क्या मै एक मूढ़ प्रश्न पूछ सकता हूँ?
श्री श्री: वैसे भी सभी प्रश्न मूढ़ होते हैं।
प्रश्न: बेवकूफ कैसे बनें?
यश: प्रश्न पूछ कर।
राजश्री: जैसे आप हो, वैसे ही रहो!
यह लेख गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर जी की ज्ञान वार्ता "सच्चे साधक के लिए एक अन्तरंग वार्ता से" लिया गया है।