ज्ञान के लेख (Wisdom)

होली का रहस्य : कैसे जन्मे कार्तिकेय

दक्षिण भारत में यह कहावत है कि होली के दिन शिव जी आँख बंद कर के तपस्या में बैठे हुए थे। फिर जगत में आसुरी शक्ति बहुत बढ़ने लगी। एक ताराकासुर नाम का एक असुर था। वह सब को बहुत पीड़ा दे रहा था। उस को पता चल गया कि शिव जी तो अकेल बैठे हैं। अब शिव जी की संतान से ही मेरी मृत्यु होगी, ऐसा उसको वर था। माने उसने ब्रम्हा जी को प्रसन्न कर वर प्राप्त कर लिया। उसके प्रकोप से परेशां होकर देवताओं ने शिव जी कि सहायता पाने के लिए मन्मथ को शिव जी की तपस्या भंग करने भेजा। मनमथ यानी कामदेव ने शिव जी की तपस्या भंग कर दी। तो भंग करते ही शिव जी की आँख खुली। और उन्होंने तीसरा नेत्र खोलकर काम को दहन कर दिया। 

पुरानी कामनाओं को जलाने का अर्थ है तृप्त हो जाना 

हम मन में पुरानी सारी कामनाएँ एकठ्ठा कर के रखते है, उन सब कामनाओं को जला डालो। नया जीवन शुरू हो जाएगा। नया साल जो आनेवाला है, उसकी यह तयारी है। काम को यदि हम नहीं जलाते  हैं, तो काम हम को जला देगा। तो कामनाओं को जलाने का मतलब ही यह है कि तृप्त हो जाना, पूर्ण हो जाना, समर्पण कर देना।

होली के दिन शिव जी ने नयी कामना को उत्पन्न किया और उसी से जन्मे योद्धा कार्तिकेय 

 तो शिव जी ने नेत्र खोला, फिर काम भस्म हो गया । फिर सारे देवता घबराने लग गए कि अरे सम्पूर्ण रूप से यदि काम समाप्त हो जाए तो फिर करे क्या! दुनिया में कुछ नहीं चलेगा फिर। किसी की कोई कामना ही नहीं उठेगी। ना अच्छा, ना बुरा, ना कुछ भी। दुनिया चलती है तो कामनाओं से। फिर शिव जी ने कहा, “ठीक है। अब नई कामना कि सृष्टि करते हैं, सत्य की।“ होली के दिन उन्होंने सत्यकाम को उत्पन्न किया। तब सब लोग रंग से खेले और नीरस जीवन में फिर कामना का, नई कामना का उदय हुआ। जीवन रसमय हो गया। और शिव जी और शक्ति ने साथ मिलकर स्कन्द या कार्तिकेय को जन्म दिया। और आगे चलकर कार्तिकेय ने ताड़कासुर का वध कर दिया। यह एक कहानी प्रचलित है। 

जीवन में कार्तिकेय की शक्ति आनी चाहिए 

शिव शांत हैं और शक्ति शक्ति ही है। तो शांति और शक्ति का मिलन कार्तिकेय; योद्धा, प्रज्ञावान, अग्निपुत्र; कृतिका नक्षत्र के दिन उदय हुआ। तो जीवन में कार्तिकेय की शक्ति आनी चाहिए; मतलब वीरता, शूरता, काम करने की क्षमता। काम दहन हुआ और सत्यकाम का उदय हुआ।    

 

गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर जी की ज्ञान वार्ता पर आधारित !

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