सपने

जब कुछ बहुत अच्छा या सुंदर होता है तो आप सोचते हैं कि कहीं ये सपना तो नहीं! अक्सर जिसे आप असलियत समझते हैं वह सुखदायक नहीं लगता है, पर जब दुख आता है तो आप उसे कभी सपना नहीं समझते हैं। आप मान लेते हैं कि वह असलियत ही है। सत्य को असत्य समझते हैं और असत्य को सत्य। असल में सभी दुख असत्य हैं। एक ज्ञानी व्यक्ति जानता है कि आनंद ही सत्य है, आनंद ही अपना सच्चा स्वभाव है। दुख असत्य है क्योंकि वह भूतकाल की याद से प्रभावित रहता है। जब तुम सभी कुछ एक सपने की तरह देखते हो, तब अपने स्वभाव में स्थित रहते हो।

पायल ने प्रश्न पूछा - और बुरे सपनों के बारे में क्या कहेंगे?

श्री श्री - भूल से एक बुरे सपने को सत्य मान लिया जाता है। सपने में कोई भ्रम नहीं होता है। यह सोचते हुये कि ‘क्या यह सब सपना है?’ तुम सत्य के प्रति जागृत हो जाओगे।