संस्कृति

रक्षा बंधन

 
रक्षा बंधन की पूर्णमासी सिद्ध-महापुरुषों को, ऋषियों को समर्पित है। इसे रक्षा बंधन कहते हैं।

बंधन का अर्थ है अधीनता और रक्षा का मतलब है सुरक्षा - जो बंधन तुम्हारी रक्षा करता है। ज्ञान के प्रति, गुरु के प्रति, सत्य के प्रति और आत्मा के प्रति तुम्हारा बंधन तुम्हारा-ये सभी तुम्हारा उद्धार करते हैं। तुम्हें बचाने के लिए एक रस्सी में बाँधा जा सकता है या फिर तुम्हारा गला घोंटने के लिए भी। छोटा मन साँसारिक विषय-वस्तुओं से घुटन ला सकता है। विराट मन और ज्ञान तुम्हारी सुरक्षा करता है।

गुरु के प्रति, सत्य के प्रति, ऋषियों के प्राचीन ज्ञान के प्रति तुम्हारा बंधन ही तुम्हारा रक्षक है। रक्षा-बंधन वह बंधन है जो तुम्हारी सुरक्षा करता है। सत्संग के बंधन के कारण तुम्हारा उद्धार होता है।

जीवन में बंधन आवश्यक है। बस, बंधन-रहित जीवन में केवल ईश्वर के साथ बंधे रहो – गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर

रक्षा बंधन क्या है ?

रक्षाबंधन का पर्व आस्था और विश्वास का पर्व है। इस दिन बहनें-भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर उनकी लंबी आयु की कामना करती हैं।

यह दिन साधकों और ज्ञानियों  के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है। रक्षा बंधन का पर्व श्रावण मास का महत्वपूर्ण पर्व है। यह पर्व हर श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है । हर पंचांग के अनुसार रक्षाबंधन का पर्व 22 अगस्त 2021 रविवार को मनाया जा रहा है। 

रक्षा बंधन का इतिहास क्या है ?

इन्द्रदेव को भगवन विष्णु ने दिया था रक्षा सूत्र :

भविष्य पुराण के अनुसार, दैत्यों और देवताओं के बीच  होने वाले एक युद्ध में जब भगवान इंद्र को एक असुर राजा बलि ने हरा दिया था उस समय इंद्र की पत्नी सची ने भगवान विष्णु से मदद माँगी। भगवान विष्णु ने सची को एक हाथ में पहनने के लिए सूती धागे का एक सूत्र बना कर दिया। इस सूत्र  को भगवान विष्णु ने पवित्र सूत्र  कहा। सची ने इस धागे को इंद्र की कलाई में बाँध दिया तथा इंद्र की सुरक्षा और सफलता की प्रार्थना की। इसके बाद अगले युद्ध में इंद्र बलि नामक असुर को हारने  में सफ़ल हुए। इस तरह यह त्योहार सिर्फ भाइयों बहनों तक ही सीमित नहीं रह गया।

माँ लक्ष्मी ने बाँधी थी राजा बलि को राखी

भगवत पुराण और विष्णु पुराण के आधार पर यह माना जाता है कि जब भगवान विष्णु ने राजा बलि को हरा कर तीनों लोकों पर अधिकार कर लिया तो बलि ने भगवान विष्णु से उनके महल में रहने का आशीर्वाद माँग लिया | माँ लक्ष्मी विष्णु के साथ वापस वैकुण्ठ जाना चाहती थीं | इसलिए उन्होंने ने बलि को रक्षा धागा बाँध कर भाई बना लिया। राजा बलि से उपहार स्वरुप यह माँगा कि वह भगवान विष्णु को बलि के महल में ही रहने के वचन से मुक्त करें । बलि ने ये बात मान ली और साथ ही माँ लक्ष्मी को अपनी बहन के रूप में भी स्वीकार किया ।

कृष्ण और द्रौपदी ने भी मनाई थी राखी  :

ऐसा कहा जाता है कि महाभारत युद्ध के समय द्रौपदी ने कृष्ण की रक्षा के लिए उनके हाथ मे राखी बाँधी थी। इसी युद्ध के समय कुंती ने भी अपने पौत्र अभिमन्यु की कलाई पर सुरक्षा के लिए राखी बाँधी थी ।

यम और यमुना सम्बंधित रक्षा बंधन की कहानी :

एक अन्य पौराणिक कहानी के अनुसार, मृत्यु के देवता यम जब अपनी बहन यमुना से 12 वर्ष तक मिलने नहीं गये, तो यमुना ने दुखी होकर  माँ गंगा से प्रार्थना कि | माँ गंगा ने  यम तक यह बात पहुँचाई कि यमुना उनकी प्रतीक्षा कर रही हैं। इस पर यम युमना से मिलने आये। उन्होंने यमुना से कहा कि वे मनचाहा वरदान मांग सकती हैं। इस पर यमुना ने उनसे ये वरदान माँगा कि यम जल्द पुनः अपनी बहन के पास आयें। यम अपनी बहन के प्रेम और स्नेह से गद-गद हो गए और यमुना को अमरत्व का वरदान दिया। और यहाँ से यह प्रथा शुरू हुई कि वर्ष में एक बार श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन हर भाई अपनी बहन से मिलने जाए और बहनें प्रेम से भाइयों को रक्षा सूत्र बांधें

1905 का बंग भंग, रविन्द्रनाथ टैगोर और रक्षा बंधन  :

भारत में जिस समय अंग्रेज अपनी सत्ता जमाये रखने के लिए ‘डिवाइड एंड रूल’ की नीति अपना रहे थे, उस समय देश भर में एकता का सन्देश देने के लिए रविंद्रनाथ टैगोर ने रक्षा बंधन का पर्व मनाना शुरू किया।

महत्वपूर्ण प्रश्न

प्रश्न    : रक्षाबंधन का त्यौहार कब मनाया जाता है ?

उत्तर  : श्रावण माह की पूर्णिमा के दिन

प्रश्न    : राखी 2021 में कितनी तारीख को है ?

उत्तर  : 22 अगस्त

प्रश्न    : इस साल राखी बंधने का शुभ मुहूर्त कितने बजे का है ?

उत्तर  : सुबह 6:15 बजे से रात 7:40 बजे तक

प्रश्न   : रक्षाबंधन का त्यौहार कैसे मनाते हैं ?

उत्तर : बहनें अपने भाइयों को राखी बांधती हैं और एक-दूसरे की रक्षा का वचन लेते हैं ।

 

इस रक्षा बंधन खुशियों को लायें घर, सीखें सुदर्शन क्रिया और रहें स्वस्थ और मस्त |

स्वस्थ जीवनशैली के सारे रहस्य जानना चाहते हैं

हमारा मुख्य कार्यक्रम हैप्पीनेस कार्यक्रम अब सच्ची ख़ुशी से कम में काम न चलायें !
स्वस्थ जीवनशैली के सारे रहस्य जानना चाहते हैं