देवी तत्व को जानिए

जिस ऊर्जा से दूर से दिखनेवाले बृहदाकार और तेजस्वी तारे, गृह वैसे ही सूक्ष्म मानवी मन का और उसके अंतर्गत आने वाले भावनाओं का जनम हुआ वह ऊर्जा ही साक्षात् ‘देवी’ है। जिसे शक्ती मतलब ऊर्जा इस नाम से जाना जाता है। वही शक्ती समस्त ब्रम्हांड को निरन्तर कार्यरत रखने के लिए कारणीभूत है।

नवरात्रि में, इस ऊर्जा की विभिन्न नामों और रूपों में पूजा की जाती है।

"दिव्यता व्यापक है लेकिन वह सुप्त है। पूजा और आराधना द्वारा उसे जगाया जाता  हैं। "

देवी शक्ति के तीन प्रमुख रूप 

देवी मां या शक्ति के तीन प्रमुख रूप हैं:

दुर्गा देवी 

नवरात्रि के पहले तीन दिन (1,2 और 3 ) देवी की पूजा 'दुर्गा' के रूप में करते हैं। दुर्गा के सानिध्य में नकारात्मक शक्तियां नष्ट हो जाती है। दुर्गा देवी नकारात्मकता को सकारात्मकता में परावर्तीत करती है।

दुर्गा देवी को 'जय दुर्गा' के नाम से जाना जाता है क्योंकि वह विजय दिलाती है।

उसकी कुछ विशेषताएं

  • लाल रंग : दुर्गा देवी लाल रंग से सम्बंधित है। लाल साडी. लाल रंग चैतन्य का प्रतीक है।
  • नवदुर्गा : यह दुर्गा शक्ति के नौ अलग-अलग रूप हैं जो सभी नकारात्मकता से रक्षा के लिए एक कवच जैसा कार्य करते हैं। देवी के इन गुणों के स्मरण मात्र से ही मन से नकारात्मकता नष्ट हो जाती हैं। देवी के नाम के उच्चारण से ही हमारी चेतना के स्तर में वृद्धि होती हैं और यह हमें आत्म-केंद्रित, निर्भय और शांत बनाते हैं। जिन लोगों में चिंता, भय और आत्मविश्वास की कमी हैं, उनके लिए यह नामोच्चार बहुत लाभदायक होता है।
  • महिषासुर मर्दिनी : महिषासुर मर्दिनी के रूप में दुर्गा देवी महिष का विनाश करती है। महिष का अर्थ है भैंस जो निष्क्रिय, आलसी और जडत्व का प्रतिक है। ये गुण आपके शारीरिक और आध्यात्मिक जीवन में बाधा उत्पन्न करते हैं। देवी सकारात्मक ऊर्जा से भरी हुई है, जो आलस्य, थकावट और जड़ता का विनाश करती है।

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माता लक्ष्मी 

नवरात्रि के अगले तीन दिनों में (4,5 और 6) देवी की पूजा लक्ष्मी के रुप में की जाती है। लक्ष्मी संपत्ति और समृद्धि की देवता है। हमारे जीवन की उन्नति और प्रगति के लिए संपत्ति की आवश्यकता है। संपत्ती का अर्थ केवल धन नहीं बल्कि ज्ञान आधारित कला और कौशल की प्राप्ति भी है। लक्ष्मी देवी मनुष्यों की भौतिक और आध्यात्मिक प्रगति की आवश्यकता प्रतिक है। मानव जाती के सर्वांगीण प्रगति हेतु भौतिक और आध्यात्मिक जरूरतों के पूर्ति का प्रतिक माता लक्ष्मी है।

इस देवी शक्ति के आठ रूपों की हम पर बौछार हो

  • आदि लक्ष्मी - यह रूप आपके मूल स्रोत का स्मरण कराती है। जब हम भूल जाते हैं कि हम इस ब्रह्मांड का हिस्सा है, तो हम खुद को छोटे और असुरक्षित मानते हैं। आदि लक्ष्मी यह रूप आपको अपने मूल स्रोत से जोड़ता है, जिससे अपने मन में सामर्थ्य और शांति का उदय होता है।
  • धन लक्ष्मी - यह भौतिक समृद्धि का एक रूप है।
  • विद्या लक्ष्मी - यह ज्ञान, कला और कौशल का एक रूप है।
  • धान्य लक्ष्मी - अन्न-धान्य के रूप यह रूप प्रकट होता है।
  • संतान लक्ष्मी - यह रूप प्रजनन क्षमता और सृजनात्मकता के रूप में प्रकट होता है । जो लोग रचनात्मक और कलात्मक होते हैं, उनपर लक्ष्मी के ये रूप की कृपा होती है।
  • धैर्य लक्ष्मी - शौर्य और निर्भयता के रूप में प्रकट होती है।
  • विजय लक्ष्मी - जय, विजय के रूप में प्रकट होती है।
  • भाग्य लक्ष्मी - सौभाग्य और समृद्धि के रूप में प्रकट होती है।

माता लक्ष्मी के इन ८ रूपों के (अष्टलक्ष्मी के) बारे में विस्तार से पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करें

ये तीन दिन देवी लक्ष्मी को समर्पित हैं। इन विभिन्न रूपों में देवी लक्ष्मी हम सब पर प्रसन्न रहे और हम पर संपत्ति और समृद्धि की बौछार करे यही प्रार्थना।


सरस्वती देवी 

नवरात्रि के अंतिम 3 दिन (7,8 और 9) देवी सरस्वती को समर्पित हैं।

सरस्वती ज्ञान की देवता है जो हमें 'आत्मज्ञान' देती है। देवी सरस्वती के कई पहलू हैं जो बहुत महत्वपूर्ण हैं।

  • पाषाण - वह पाषाण पर बैठी है। ज्ञान जो एक पाषाण की तरह अचल और निश्चल है वह हमेशा आपका साथ देता है।
  • वीणा - देवी सरस्वती वीणा बजा रही है। वीणा यह तंतु वाद्य है, जिससे निकलती मधुर ध्वनि मनशांति देती है। इसी तरह आध्यात्मिक ज्ञान हमें विश्राम दिलाता है और जीवन को एक उत्सव बनाता है।
  • हंस - देवी सरस्वती का वाहन हंस हैं। यदि हंस को दूध और पानी का मिश्रण दिया जाता है, तो वह उसमेसे दूध पी लेता है। यह विवेक का प्रतिक है जो ये दर्शाता है की हमें जीवन में सकारात्मकता स्वीकारनी चाहिए और नकारात्मक को छोड़ देना चाहिए।
  • मोर - देवी के साथ मोर होता है। मोर नृत्य और आपके रंगीन पंख प्रदर्शित करता है। लेकिन यह हर समय नहीं होता। ये इस बात का प्रतीक है के ज्ञान का खुलासा /उपयोग उचित जगह पर और उचित समय पर किया जाना चाहिए।

देवी सरस्वती हमारी अपनी चेतना का स्वरुप है, जो विभिन्न बाते सीखने को उद्युक्त करती है। यह अज्ञान दूर करनेवाली ज्ञान और आध्यात्मिक प्रकाश का स्रोत है।


"नवरात्रि के इन नौ दिनों में, जब आप देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों और गुणों की पूजा करते हैं, तो वे गुण हमारी चेतना में जागने लगते हैं और जब आवश्यकता हो तब प्रकट होते है। "

-भानुमति नरसिम्हन, गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर जी की बहन


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