रणनीति

माता पिता और बुजुर्ग लोगों को शिक्षा के महत्व के बारे में जानकारी दे रहे हैं। क्षेत्रीय समुदाय से लोगों को शिक्षक बनाया जा रहा है और उन्हें प्रशिक्षण दिया जा रहा है

प्रभाव

पूरे भारत में 702 स्कूलों में 70,000 से अधिक बच्चों को शिक्षा प्रदान की गई।

लिंग अनुपात

इन स्कूलों में लिंग अनुपात राष्ट्रीय औसत की अपेक्षा कहीं अधिक है।

अवलोकन

हमारा दृष्टिकोण भारत के शिक्षा क्षेत्र में कमजोर समुदायों के योग्य बच्चों को तनावमुक्त वातावरण में मूल्यों पर आधारित समग्र शिक्षा प्रदान करना है। तीन दशकों से भी अधिक समय में, आर्ट ऑफ लिविंग ने शिक्षा तंत्र में मूल्यों को एकीकृत करने के उद्देश्य से शैक्षिक प्रोजेक्टों को सफलतापूर्वक निष्पादित किया है और बच्चों को जीवनयापन के विकल्प और सुरक्षित भविष्य प्रदान किया है। आज, आर्ट ऑफ लिविंग भारत के 22 राज्यों में 70,000 से भी अधिक बच्चों के लिए 702 नि:शुल्क स्कूल चलाता है। हमारे शिक्षा अभियानों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • फ्री स्कूल ऐसे ग्रामीण क्षेत्रों,शहरी बस्तियों और आदिवासी क्षेत्रों में फ्री स्कूल चलाए जा रहे हैं, जहाँ बिजली और सड़कें भी नहीं हैं।
  • स्कूल अडॉप्शन कार्यक्रम इसमें सरकारी स्कूलों में आधारिक संरचना को ठीक करना और आवश्यकता अनुसार कर्मचारियों को नियुक्त करना शामिल है।
  • शहरी बस्तियों में विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करना,जो सामान्यतः अपराध और नशे की लत की चपेट में आ जाते हैं।

"फ्री स्कूलों के निर्माण और उन्हें चलाने के लिए ,आर्ट ऑफ लिविंग संस्था को असंख्य चुनौतियों का सामना करना पड़ा। हमने यह सीखा कि इस पूरे चक्र में सबसे सरल कार्य हमारे स्कूल के बच्चों को पढ़ाने का था। आसपास के क्षेत्रों में मौजूद समुदायों के दृष्टिकोण को बदलना और उन्हें यह समझाना कि शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण है,और भी अधिक चुनौतीपूर्ण था और यही एक अद्भुत मूल्य है,जिसे आर्ट ऑफ लिविंग मूल्यों पर आधारित शिक्षा के क्षेत्र में लेकर आया है।"

नि:शुल्क शिक्षा

 

एक सुनहरा भविष्य उपहार में दें

प्रत्येक बच्चे को शिक्षा का अधिकार है। आपका छोटा सा योगदान उनकी मदद कर सकता है।

यदि मैं मेघालय में ही रह रही होती,तो बहुत छोटी उम्र में ही मेरी शादी हो जाती। यहाँ मुझे शिक्षा मिली और अब मैं ऐसा महसूस करती हूँ कि मैं जीवन में कुछ उपलब्धि प्राप्त कर सकती हूँ।

- रिदालिं लिंगदोह, आर्ट ऑफ लिविंग फ्री स्कूल की भूतपूर्व विद्यार्थी,बेंगलुरु

 

सीखने के लिए एक नया दृष्टिकोण

चुनौतियाँ

भारत की 40% जनसंख्या 18 वर्ष आयु की है। 1 अप्रैल, 2010 को भारत उन 135 देशों के संघ में शामिल हो गया ,जहाँ शिक्षा प्रत्येक बच्चे का मौलिक अधिकार है। लगभग 500 लाख लोगों को शिक्षा का अधिकार देना और उन्हें शिक्षा प्रदान करना,भारत में एक चुनौतिपूर्ण कार्य था। आर्ट ऑफ लिविंग ने सरकार और अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर देश के उन बच्चों और युवाओं को शिक्षा प्रदान की,जो इससे पूरी तरह से वंचित थे। ऐसा अनुमान लगाया गया कि भारत में 96% बच्चों को प्राथमिक शिक्षा मिली। और जिन्हें प्राथमिक शिक्षा मिली,उनमें से केवल 72% बच्चे पाँचवीं कक्षा तक पहुँच पाए, केवल 57% बच्चों ने आठवीं कक्षा तक पढ़ाई की और मुश्किल से 37% बच्चे ही दसवीं कक्षा तक पहुँच पाए।

हमारी कुछ चुनौतियों में निम्नलिखित बातें शामिल थीं -

  • कई सामाजिक - आर्थिक कारणों की वजह से माता पिता स्कूलों में बच्चों का पंजीकरण नहीं कराते हैं।
  • बच्चे घरेलू दबाव के कारण कुछ समय में स्कूल छोड़ देते हैं।
  • जब बच्चों के सामने व्यक्तिगत,सामाजिक और आर्थिक समस्याएं आती हैं, तो समय के साथ - साथ बच्चों का पढ़ाई में प्रदर्शन घटने लगता है।
  • बेहतर अवसर पाने के लिए शिक्षक नौकरी छोड़ देते हैं।
  • बड़ी कक्षा को पढ़ाने के लिए योग्य शिक्षकों की कमी।

5 वर्ष से भी कम समय के लिए स्कूल जाने वाले लोग

2016 में शिक्षा की दर

मोटे तौर पर ,भारत में दो तिहाई लोग अशिक्षित थे

 

96 % बच्चों ने प्राथमिक शिक्षा आरंभ की

स्कूल छोड़ देना

केवल 37% बच्चों ने दसवीं तक शिक्षा प्राप्त की

शिक्षा एक सभ्यता का सबसे बड़ा न्याय के लिए संघर्ष करने वाला आधार है। इसमें कमजोर से भी कमजोर व्यक्ति का सशक्तीकरण करने, विश्व में शांति लाने और गरीबी को दूर करने की शक्ति है। शिक्षा को प्रायः प्रसन्नता प्राप्त करने के एकमात्र मार्ग के रूप में भी देखा जाता है।

- गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर

रणनीति

हमारे पास हमारे शिक्षा प्रोजेक्टों के लिए एक स्पष्ट रणनीति है,जो समय के साथ विकसित और परिष्कृत की गई है। यह रणनीति तीन स्तंभों पर तैयार की गई है:

समुदायों के साथ संलग्न होना: बच्चों को पढ़ाने से पहले उनके माता पिता और बुजुर्गों को शिक्षा के महत्व के बारे में अवगत कराने की आवश्यकता थी। आर्ट ऑफ लिविंग पूरी सक्रियता के साथ समुदाय प्रभावकों के पास पहुँचा,ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बच्चे स्कूल ना छोड़ें। स्थानीय समुदाय से ही स्कूली शिक्षकों को चुना गया और उन्हें भली भांति प्रशिक्षण दिया गया,ताकि समुदाय के साथ एक मजबूत संबंध बना रहे। इससे बच्चों के स्कूल ना छोड़ने में मदद मिली।

फ्री शिक्षा उपलब्ध कराना: इन स्कूलों में आने वाले बच्चे बेहद गरीब पृष्ठभूमि से आते हैं और इनमें से अधिकतर पहली पीढ़ी के शिक्षा ग्रहण करने वाले बच्चे होते हैं। आर्ट ऑफ लिविंग का लक्ष्य वंचित वर्गों के बच्चों को फ्री और मूल्यों पर आधारित शिक्षा प्रदान करने के साथ - साथ सामाजिक,आर्थिक और सांस्कृतिक अवरोधों पर भी ध्यान देना है,जो बच्चों को स्कूल जाने से रोकते हैं।

मूल्यों पर आधारित शिक्षा: हमारी शिक्षा रणनीति का मुख्य केंद्र औपचारिक शिक्षा के साथ जीवन कौशल को जोड़ना है,जिसमें बच्चों में आत्मविश्वास,नेतृत्व क्षमता और पारस्परिक कुशलताओं का निर्माण करना,ध्यान की तकनीकों के द्वारा आध्यात्मिकता को जगाना और मानव मूल्यों के लिए एक नींव का निर्माण करना है।आर्ट ऑफ लिविंग स्कूल बच्चों का समग्रता से पालन पोषण करते हैं। इससे पारिवारिक मूल्य मजबूत होते हैं, प्रगतिशील दृष्टिकोण से समाज मजबूत होता है और सांस्कृतिक बंधन टूटते हैं।

हमारी रणनीति

समाज के साथ संलग्न होना

शिक्षकों को चुनना और उन्हें प्रशिक्षण प्रदान करना

 

फ्री शिक्षा प्रदान करना

अधिकतर बच्चे पहली पीढ़ी के शिक्षा ग्रहण करने वाले होते हैं

 

मूल्यों पर आधारित दृष्टिकोण

आत्मविश्वास,नेतृत्व क्षमता,पारस्परिक कौशलों और आध्यात्मिकता का विकास करना

अब तक,आर्ट ऑफ लिविंग ने 70,000 से अधिक बच्चों को निशुल्क शिक्षा प्रदान की है। इनमें से अधिकतर बच्चे पहली पीढ़ी के शिक्षा ग्रहण करने वाले थे।

ट्वीट

प्रभाव

इस क्षेत्र में हमारे द्वारा किए गए लगातार प्रयासों के परिणामस्वरूप,आज आर्ट ऑफ लिविंग भारत के 22 राज्यों में आदिवासी,ग्रामीण क्षेत्रों और शहरी बस्तियों में 702 निशुल्क स्कूल चलाता है,जिनमें 70,000 से अधिक बच्चों को शिक्षा प्रदान की गई। इन स्कूलों की कुछ मुख्य बातें इस प्रकार हैं:

  • इनमें से कई स्कूल ऐसे क्षेत्रों में हैं, जहाँ सरकारी स्कूल नहीं हैं।
  • इन स्कूलों में अधिकतर बच्चे पहली पीढ़ी के शिक्षा ग्रहण करने वाले हैं।
  • इन स्कूलों में समग्र पाठ्यक्रम के अनुसार पढ़ाया जाता है, जिसमें आधुनिक शिक्षा और प्राचीन ज्ञान का संतुलित मेल है।
  • इन स्कूलों में लिंग अनुपात 48 लड़कियां : 52 लड़कों का है,जो राष्ट्रीय औसत से कहीं अधिक है।
  • हमने अब तक 1500 शिक्षकों को प्रशिक्षण प्रदान किया है।

70,000 से अधिक विद्यार्थियों

को फ्री शिक्षा प्रदान की गई

 

702 फ्री स्कूल

भारत के 22 राज्यों में चलाए जाते हैं।

 

48 लड़कियां : 52 लड़के का अनुपात है

जो राष्ट्रीय औसत से अधिक है।

 

1500 शिक्षकों

को अभी तक प्रशिक्षण प्रदान दिया गया है

इस प्रोजेक्ट का हिस्सा बनें:
गिफ्ट ए स्माइल

यदि आप किसी समाज में दीर्घकालिक परिवर्तन लाना चाहते हैं, तो यह शिक्षा के द्वारा किया जा सकता है। इसीलिए, गिफ्ट ए स्माइल - हमारा शिक्षा कार्यक्रम, विशेषाधिकार से वंचित बच्चों के लिए हमारे बहुत बड़े प्रोजेक्ट्स में से एक है।

यदि आप किसी समाज में दीर्घकालिक परिवर्तन लाना चाहते हैं, तो यह शिक्षा के द्वारा किया जा सकता है। इसीलिए, गिफ्ट ए स्माइल - हमारा शिक्षा कार्यक्रम, विशेषाधिकार से वंचित बच्चों के लिए हमारे बहुत बड़े प्रोजेक्ट्स में से एक है।

हमें सम्पर्क करें

info@projects.artofliving.org+91 80 67433684

 
द आर्ट ओफ़ लिविंग इंटर्नैशनल सेंटर, 21वां किलोमीटर, कनकपुरा रोड,उदयपुरा, बंगलूरू दक्षिण, कर्नाटक, भारत 560082